भूआकृतिक प्रक्रियाएं / Geomorphic Activities Class 11th Geography Notes

Sharvan Patel
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भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

अध्याय-5 : भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

  • भूपर्पटी गत्यात्मक है। यह क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर दिशाओं में संचलित होती रहती है।
  • धरातल पृथ्वी मंडल के अंतर्गत उत्पन्न बाह्य बलों एवं पृथ्वी के आंतरिक बलों से अनवरत प्रभावित होता है।
  • बाह्य बलों को बहिर्जात तथा आंतरिक बलों को अंतर्जात बल कहा जाता है।
  • पृथ्वी पर उभरी हुई भू-आकृतियों का विघटन तथा निम्न क्षेत्रों/गर्तों का भराव बहिर्जात बलों की क्रियाओं का परिणाम होता है।
  • धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अंतर के कम होने को तल संतुलन कहा जाता है।
  • जब तक बहिर्जात एवं अंतर्जात बलों के विरोधात्मक कार्य चलते रहते हैं तब तक धरातल पर उच्चावच संबंधी भिन्नता बनी रहती है।
  • अंतर्जात बल मूल रूप से भू-आकृति निर्माण करने वाले बल होते हैं।
  • बहिर्जात प्रक्रियाएँ मुख्य रूप से भूमि विघटन करने वाली होती हैं।

भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ

धरातल के पदार्थों पर अंतर्जात एवं बहिर्जात बलों द्वारा भौतिक दबाव तथा रासायनिक क्रियाओं के कारण भू-तल के विन्यास में होने वाले परिवर्तन को भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ कहते हैं।

  • प्रमुख अंतर्जात भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं – पटल विरूपण एवं ज्वालामुखीयता।
  • प्रमुख बहिर्जात भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ हैं – अपक्षय, वृहत क्षरण, अपरदन, निक्षेपण।

भू-आकृतिक कारक

  • प्रमुख भू-आकृतिक कारक हैं – जल (प्रवाहयुक्त व भूमिगत), हिमानी, हवा, लहरें, धाराएँ आदि।
  • भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ तथा भू-आकृतिक कारक सामान्यतः एक ही होते हैं।
  • धरातल पर सभी गतिशील पदार्थों को क्रियाशील बनाने हेतु गुरुत्वाकर्षण और ढाल प्रवणता आवश्यक है।

अंतर्जात प्रक्रियाएँ

  • भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के लिए प्रमुख बल स्रोत होती है पृथ्वी के अंदर से निकलने वाली ऊर्जा।
  • यह ऊर्जा रेडियोधर्मी क्रियाओं, पृथ्वी के घूर्णन, ज्वारीय घर्षण तथा पृथ्वी की उत्पत्ति से जुड़ी ऊष्मा से प्राप्त होती है।
  • यह ऊर्जा पटल विरूपण एवं ज्वालामुखीयता को प्रेरित करती है।

अंतर्जनित एवं बहिर्जनित प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जाने Click Here

पटल विरूपण

  • वे सभी प्रक्रियाएँ जो भूपर्पटी को संचलित, उत्थापित और निर्मित करती हैं, पटल विरूपण के अंतर्गत आती हैं।
  • महाद्वीप रचना, पर्वत निर्माण, भूकंप एवं प्लेट विवर्तनिकी पटल विरूपण के अंतर्गत आती हैं।

बहिर्जात प्रक्रियाएँ

  • बहिर्जात प्रक्रियाएँ अपनी ऊर्जा सूर्य से प्राप्त वायुमंडलीय ऊर्जा से प्राप्त करती हैं।
  • गुरुत्वाकर्षण बल ढाल की दिशा में पदार्थों को संचालित करता है।

अंतर्जनित एवं बहिर्जनित प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जाने Click Here

अपक्षय

  • अपक्षय के अंतर्गत वायुमंडलीय तत्वों की धरातल के पदार्थों पर की गई क्रिया शामिल होती है।
  • अपक्षय एक स्वस्थाने प्रक्रिया है क्योंकि इसमें पदार्थों का संचलन नगण्य होता है।
  • अपक्षय के तीन प्रमुख प्रकार हैं – रासायनिक, भौतिक (यांत्रिक) एवं जैविक।

रासायनिक अपक्षय

  • रासायनिक अपक्षय में विलयन, कार्बोनेटीकरण, जलयोजन, ऑक्सीकरण जैसी क्रियाएँ शामिल होती हैं।
  • इन क्रियाओं में चट्टानों का रासायनिक अपघटन होता है।

भौतिक अपक्षय

  • भौतिक अपक्षय तापमान परिवर्तन, हिम क्रिया, दाब एवं गुरुत्वाकर्षण से होता है।

जैविक अपक्षय

  • पौधों, जीवों एवं सूक्ष्म जीवों की क्रियाओं से होने वाला अपक्षय जैविक अपक्षय कहलाता है।

वृहद संचलन

  • वृहद संचलन के अंतर्गत गुरुत्वाकर्षण के कारण शैल मलवा ढाल के अनुसार स्थानांतरित होता है।
  • भूस्खलन वृहद संचलन का प्रमुख उदाहरण है।

अपरदन एवं निक्षेपण

  • अपरदन में शैल पदार्थों का अपवाह व परिवहन होता है।
  • निक्षेपण अपरदन का परिणाम है।

मृदा निर्माण

  • मृदा का अध्ययन पेडालॉजी कहलाता है।
  • मृदा एक गत्यात्मक माध्यम है।
  • मृदा निर्माण के पाँच प्रमुख कारक हैं – जनक शैल, स्थलाकृति, जलवायु, जैविक तत्व एवं समय।
मृदा एक परिवर्तनशील एवं विकासोन्मुख प्राकृतिक संसाधन है।

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