Chapter - 5 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (कक्षा 11 भूगोल)

Sharvan Patel
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🌍 भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ (कक्षा 11 भूगोल)

परिचय: भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ वे प्राकृतिक प्रक्रियाएँ हैं जो पृथ्वी की सतह और संरचना को आकार देती हैं। इन्हें मुख्यतः अंतर्जनित (endogenic) और बहिर्जनित (exogenic) प्रक्रियाओं में बाँटा जाता है।

🔥 अंतर्जनित प्रक्रियाएँ

🗻 पटल विरूपण (Folding & Faulting)

सार: पर्पटी (crust) में अंदरूनी दबाव के कारण चट्टानों का मुड़ना (folds) व फटना/खिसकना (faults)।

विस्तार: पटल विरूपण से पर्वतों का निर्माण, घुमावदार श्रृंखलाएँ, तथा भ्रंश-घाटियाँ बनती हैं।

  • फोल्डिंग: सममित/असममित मोड़ — उदाहरण: हिमालय (लम्बीायामीन वाली टेक्टोनिक चुनौतियाँ)।
  • फॉल्टिंग: नॉर्मल, रिवर्स और स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट — भूकम्पों से संबंधित।
  • प्रभाव: भूस्वयं संरचना बदलती है; भूकंपीय जोखिम उत्पन्न हो सकता है।

🌋 ज्वालामुखीयता (Volcanism)

सार: मैग्मा का सतह पर आना — लावा, गैसें, राख का उत्सर्जन।

विस्तार: ज्वालामुखीय क्रियाएँ नए भू-रूप बनाती हैं (जैसे द्वीप, पठार)। इनसे प्राप्त उपजाऊ ज्वालामुखीय मृदा खेती हेतु फायदेमंद होती है पर विस्फोट विनाशकारी भी हो सकते हैं।

  • प्रकार (आकृति): शील्ड, स्ट्रैटो/कॉम्पोजिट, सिंडर शंकु, कैल्डेरा, फ्लड बेसाल्ट प्रांत।
  • प्रकार (सक्रियता): सक्रिय, सुप्त, मृत।
  • महत्त्व: खनिज स्रोत, नई भूमि, मगर जीवन/आवास पर खतरा।

💨 बहिर्जनित प्रक्रियाएँ

ये सतह पर बाहरी ऊर्जा (सूर्य, वायु, जल, गुरुत्व) से संचालित होती हैं और भूमि को घिसती, परिवहित व निक्षेपित करती हैं।

⛏️ अपक्षय (Weathering)

मशरूम चट्टान  (सउदी अरब )

सार: चट्टानों का अपनी जगह पर टूटना या विघटन।

विस्तार: अपक्षय तीन प्रकार का होता है — भौतिक (mechanical), रासायनिक (chemical) और जैविक (biological)। यह मिट्टी निर्माण का प्रमुख स्रोत है।

भौतिक अपक्षय

  • ताप संबंधी फैलाव व सिकुड़ाव — दिन-रात तापांतर से चट्टानें फटती हैं (रेगिस्तान में विशेष)।
  • ठन्डी क्रिया (freeze-thaw) — पानी जमकर फटाव उत्पन्न करता है।
  • लवण क्रिस्टलीकरण — नमीयुक्त स्थानों पर खनिज क्रिस्टल चट्टान भेद देते हैं।

रासायनिक अपक्षय

  • ऑक्सीकरण — आयरन युक्त चट्टानें जंग लगकर कमजोर होती हैं।
  • हाइड्रोलिसिस/डिसॉल्यूशन — जल के साथ अभिक्रिया से चट्टान घुल सकती है (जैसे चूना पत्थर)।

जैविक अपक्षय

  • पौधे व सूक्ष्मजीवों की सक्रियता — जड़ों का फैलना, जैविक अम्लों द्वारा पत्थर कमजोर होना।

🏔️ भूस्खलन (Mass Movement / Landslides)


सार: गुरुत्व के कारण ढलान से मिट्टी, चट्टान या ढेरों का नीचे की ओर अचानक/धीरे-धीरे खिसकना।

विस्तार: तेज वर्षा, भूकम्प, कटाव, विकृत ढलान, वनों की कटाई—ये मुख्य कारण हैं। रोकथाम में ढलान स्थिरीकरण, ड्रेनेज प्रबंध और वनीकरण शामिल हैं।

  • प्रकार: फॉल (fall), स्लाइड (slide), फ्लो (flow) — गतिशीलता व जलवायु पर निर्भर।
  • प्रभाव: जीवन/आवास का नुकसान, सड़क व बुनियादी ढांचे को क्षति, नदी मार्ग बदलना।

🌊 अपरदन (Erosion) और निक्षेपण (Deposition)

सार: अपरदन: सामग्री को हटाना; निक्षेपण: हटाई गई सामग्री का जमा होना।

विस्तार: नदियाँ घाटियाँ, कैनियन, वाव बनाती हैं; हिमनद U-घाटियाँ और मॉरैन छोड़ते हैं; हवा टिब्बे बनाती है; समुद्र तट पर क्लिफ व बेचे बनते हैं।

  • नदी: कटाव (अपरदन) उच्च स्थान पर और निक्षेपण (डेल्टा, फ्लडप्लेन) नीचले स्थान पर करती है।
  • हवा: रेतीले टीलों का निर्माण (इग्लैशन/ड्यून्स)।
  • हिमनद: ग्लेशियर वेंचरों में बड़े गड्ढे/डोलिन और वादी बनाते हैं।

📌 प्रभाव, महत्त्व और मानव पर असर

  • स्थलरूप निर्माण: पर्वत, पठार, घाटी, डेल्टा आदि इन प्रक्रियाओं के प्रत्यक्ष परिणाम हैं।
  • उपजाऊ मिट्टी: अपक्षय और निक्षेपण से उपजाऊ फसली स्तर बनता है — कृषि हेतु लाभदायक।
  • प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन मानव बस्तियों व अवसंरचना को प्रभावित करते हैं।
  • संसाधन स्रोत: ज्वालामुखीय एवं टेक्टोनिक क्षेत्रों में खनिज/मिट्टी की विशेषताएँ।
  • रोकथाम एवं अनुकूलन: वनीकरण, ड्रेनेज नियंत्रण, सुदृढीकरण, नियोजन और आपदा प्रबंधन आवश्यक हैं।

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