🌍 अध्याय 2 : संरचना एवं भू-आकृतिक विज्ञान
✨ भाग 1 : परिचय और प्लेट टेक्टोनिक्स
1. परिचय
-
पृथ्वी की सतह पर दिखाई देने वाले सभी स्थलरूप (Landforms) — पर्वत, मैदान, पठार, घाटियाँ — भूगर्भीय संरचनाओं और भू-आकृतिक प्रक्रियाओं का परिणाम हैं।
-
भारत का वर्तमान भू-आकृतिक स्वरूप लाखों वर्षों में हुए भूवैज्ञानिक परिवर्तनों से बना है।
-
इन परिवर्तनों का मुख्य कारण है – अंदरूनी शक्तियाँ (Endogenic forces) और बाहरी शक्तियाँ (Exogenic forces)।
-
अंदरूनी शक्तियाँ → पर्वत निर्माण, भूकंप, ज्वालामुखी।
-
बाहरी शक्तियाँ → क्षरण, अपरदन, निक्षेपण (नदी, हिमनद, वायु, समुद्र)।
-
👉 इसलिए भारत की भौतिक संरचना समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना और प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत को समझना आवश्यक है।
2. प्लेट टेक्टोनिक सिद्धांत (Plate Tectonic Theory)
-
पृथ्वी की बाहरी परत (Lithosphere) प्लेटों में बँटी है।
-
ये प्लेटें नीचे के अर्ध-द्रव एस्थेनोस्फीयर पर तैरती और गति करती रहती हैं।
-
प्लेटों की गति से महाद्वीपों और महासागरों का विन्यास बदलता है।
प्लेटों की गति के प्रकार
-
संगम सीमाएँ (Convergent boundaries)
-
जब दो प्लेटें आपस में टकराती हैं।
-
उदाहरण : भारतीय प्लेट का यूरेशियन प्लेट से टकराना → हिमालय का निर्माण।
-
-
विचलन सीमाएँ (Divergent boundaries)
-
जब प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं।
-
उदाहरण : मिड-अटलांटिक रिज।
-
-
परिवर्तन सीमाएँ (Transform boundaries)
-
जब प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं।
-
उदाहरण : सैन एंड्रियास फॉल्ट (कैलिफोर्निया)।
-
3. भारत पर प्लेट टेक्टोनिक्स का प्रभाव
-
भारत की भारतीय प्लेट कभी गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा थी।
-
लगभग 6–4 करोड़ वर्ष पूर्व यह प्लेट उत्तर की ओर बढ़ी और यूरेशियन प्लेट से टकराई।
-
इस टक्कर से हिमालय पर्वत प्रणाली का निर्माण हुआ।
-
इसी कारण भारत की भौगोलिक संरचना को तीन बड़े भागों में बाँटा जाता है:
-
हिमालय पर्वत व अन्य पर्वतीय क्षेत्र
-
उत्तरी मैदान (गंगा-ब्रहमपुत्र बेसिन)
-
प्रायद्वीपीय पठार
-
👉 इसके अतिरिक्त तटीय मैदान और द्वीप समूह भी भारत की संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
4. भारतीय भू-आकृतिक संरचना की विशेषताएँ
-
भारत की संरचना विविध और जटिल है।
-
यहाँ पुराने क्रिस्टलीय शैल (Archaean rocks) भी हैं और नए अल्पाइन पर्वत (Alpine mountains) भी।
-
उत्तरी भाग में → युवा हिमालय पर्वत।
-
दक्षिणी भाग में → प्राचीन और स्थिर प्रायद्वीपीय पठार।
-
इनके बीच → उपजाऊ मैदान।
✨ भाग 2 : हिमालय, उत्तरी मैदान और प्रायद्वीपीय पठार
1. हिमालय पर्वत प्रणाली (The Himalayas)
उत्पत्ति
-
हिमालय विश्व की सबसे युवा पर्वत श्रृंखला है।
-
इसका निर्माण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर से हुआ।
-
यह पर्वत आज भी सक्रिय (Still rising) है, इसलिए यहाँ भूकंप और भूस्खलन सामान्य हैं।
विस्तार
-
पश्चिम में अफगानिस्तान के पामीर नॉट से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी तक लगभग 2400 किमी लंबाई।
-
चौड़ाई पश्चिम में 400 किमी और पूर्व में 150 किमी।
विभाजन
हिमालय को तीन समानांतर भागों में बाँटा जाता है:
-
उत्तरतम हिमालय / हिमाद्रि (Greater Himalaya / Himadri)
-
सबसे ऊँचा, औसत ऊँचाई 6000 मीटर से अधिक।
-
यहाँ विश्व की सबसे ऊँची चोटियाँ – माउंट एवरेस्ट (8848 m, नेपाल), कंचनजंगा (8598 m, भारत-नेपाल सीमा), नंगा परबत, नंदा देवी आदि।
-
यहाँ बर्फ और हिमनद सदैव बने रहते हैं।
-
-
मध्य हिमालय / हिमाचल (Lesser Himalaya / Himachal)
-
ऊँचाई 3500–4500 मीटर।
-
यहाँ प्रसिद्ध घाटियाँ – कश्मीर, कांगड़ा, कुल्लू।
-
यहाँ हिमाच्छादित चोटियाँ, देवदार व चीड़ के वन पाए जाते हैं।
-
-
शिवालिक (Shiwalik / Outer Himalaya)
-
सबसे दक्षिणी और सबसे नया हिस्सा।
-
ऊँचाई 900–1200 मीटर।
-
यहाँ तलहटी में ‘दून घाटियाँ’ बनती हैं – जैसे देहरादून, पटलीदून।
-
विशेषताएँ
-
हिमालय भारत के लिए प्राकृतिक दीवार है जो ठंडी हवाओं को रोकती है।
-
यह नदियों का उद्गम स्थल है – गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र।
-
यह खनिज संपदा, वन, पर्यटन और चरागाहों से सम्पन्न है।
2. उत्तरी मैदान (Northern Plains)
उत्पत्ति
-
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ (गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र) अपने साथ लाए गए अवसाद (alluvium) से इस मैदान का निर्माण करती हैं।
-
यह मैदान हिमालय और प्रायद्वीपीय पठार के बीच स्थित है।
विस्तार
-
लगभग 3200 किमी लंबा और 150–300 किमी चौड़ा।
-
पश्चिम में सिंधु बेसिन से पूर्व में ब्रह्मपुत्र बेसिन तक।
भाग
उत्तरी मैदान को तीन भागों में बाँटा जा सकता है:
-
पश्चिमी भाग (पंजाब मैदान)
-
सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित।
-
यहाँ दोआब क्षेत्र बहुत उपजाऊ है।
-
-
मध्य भाग (गंगा का मैदान)
-
गंगा और उसकी सहायक नदियों (यमुना, घाघरा, गंडक, कोसी) द्वारा निर्मित।
-
भारत का सबसे उपजाऊ और घनी आबादी वाला क्षेत्र।
-
-
पूर्वी भाग (ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान)
-
ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा निर्मित।
-
यहाँ बार-बार बाढ़ आती है, जिससे भूमि उपजाऊ बनती है।
-
विशेषताएँ
-
उपजाऊ मिट्टी (अवसाद), कृषि के लिए आदर्श।
-
घनी आबादी और शहरीकरण का क्षेत्र।
-
यातायात और व्यापार के लिए सुविधाजनक।
3. प्रायद्वीपीय पठार (Peninsular Plateau)
उत्पत्ति
-
यह भारत का सबसे प्राचीन भू-भाग है।
-
यह गोंडवाना भूमि का हिस्सा था।
-
यहाँ कठोर क्रिस्टलीय शिलाएँ (ग्रेनाइट, बेसाल्ट) पाई जाती हैं।
विस्तार
-
त्रिकोणीय आकार का, दक्षिण में केप कोमोरिन (कन्याकुमारी) तक फैला है।
-
औसत ऊँचाई 600–900 मीटर।
विभाजन
-
मध्य उच्चभूमि (Central Highlands)
-
अरावली से लेकर चोटा नागपुर पठार तक फैली।
-
इसमें बुंदेलखंड, मालवा, बघेलखंड शामिल।
-
-
दक्कन का पठार (Deccan Plateau)
-
त्रिकोणीय आकार का।
-
पश्चिम में सह्याद्रि (पश्चिमी घाट) और पूर्व में पूर्वी घाट से घिरा।
-
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना यहाँ आते हैं।
-
यह प्रायद्वीपीय भारत का सबसे बड़ा हिस्सा है।
-
विशेषताएँ
-
यहाँ खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में (लौह अयस्क, मैंगनीज, कोयला, बॉक्साइट)।
-
काली मिट्टी (Regur soil) → कपास उत्पादन के लिए उपयुक्त।
-
पठार पर बहने वाली नदियाँ प्रायः पूर्वमुखी (East flowing) हैं – गोदावरी, कृष्णा, कावेरी।
-
नर्मदा और तापी पश्चिम की ओर बहती हैं।
✨ भाग 3 : मरुस्थल, तटीय मैदान और द्वीप समूह
1. मरुस्थलीय क्षेत्र (The Desert Region)
थार मरुस्थल
-
भारत का प्रमुख मरुस्थल थार (राजस्थान) में स्थित है।
-
पश्चिमी राजस्थान में लगभग 2 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ।
-
यहाँ वर्षा बहुत कम (100–150 मिमी प्रतिवर्ष) होती है।
-
यह क्षेत्र अरावली पर्वत के पश्चिम में स्थित है।
विशेषताएँ
-
रेतीले टीलों का निर्माण (Barchans & Longitudinal dunes)।
-
यहाँ कम वनस्पति, झाड़ियाँ और कठोर घास पाई जाती है।
-
लू और आंधियाँ गर्मियों में सामान्य हैं।
-
यहाँ इंदिरा गाँधी नहर परियोजना (Indira Gandhi Canal Project) के कारण सिंचाई व कृषि का विस्तार हुआ है।
2. तटीय मैदान (Coastal Plains)
भारत का समुद्री तट लगभग 6100 किमी लंबा है। इसे दो भागों में बाँटा जाता है :
(i) पश्चिमी तटीय मैदान
-
पश्चिमी घाट और अरब सागर के बीच।
-
संकरा और छोटा मैदान (50–80 किमी चौड़ा)।
-
मुख्य भाग :
-
कोंकण तट – महाराष्ट्र–गोवा क्षेत्र।
-
कर्नाटक तट (कनारा तट) – कर्नाटक।
-
मालाबार तट – केरल, जहाँ बैकवाटर (कायलों) और लैगून पाए जाते हैं।
-
-
यहाँ वर्षा अधिक होती है, मसाले और नारियल की खेती प्रसिद्ध।
(ii) पूर्वी तटीय मैदान
-
पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी के बीच।
-
अपेक्षाकृत चौड़ा मैदान (100–120 किमी चौड़ा)।
-
मुख्य भाग :
-
उड़ीसा तट (उत्कल तट)
-
आंध्र तट (सर्कार तट)
-
तमिलनाडु तट (कोरोमंडल तट)
-
-
यहाँ नदी डेल्टा बनाती हैं – गंगा-ब्रह्मपुत्र का सुंदरबन डेल्टा (विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा)।
3. द्वीप समूह (Island Groups)
भारत में दो प्रमुख द्वीप समूह हैं :
(i) लक्षद्वीप द्वीप समूह
-
अरब सागर में स्थित।
-
लगभग 36 द्वीप, क्षेत्रफल 32 वर्ग किमी।
-
यह प्रवाल द्वीप (Coral islands) हैं।
-
यहाँ नारियल की खेती और मछली पालन प्रमुख।
(ii) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
-
बंगाल की खाड़ी में स्थित, संख्या लगभग 300।
-
ये ज्वालामुखीय मूल के हैं।
-
सबसे ऊँची चोटी : सैडल पीक (Saddle Peak) – 737 मीटर।
-
यहाँ की जनजातियाँ (जैसे ओंगे, शॉम्पेन, जारवा) विशेष पहचान रखती हैं।
-
सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण – यहाँ नौसैनिक और वायु सेना अड्डे।
4. समापन : भारत की भौतिक संरचना की विशेषताएँ
-
भारत की भौगोलिक संरचना विविध और जटिल है।
-
उत्तर में हिमालय पर्वत, बीच में उपजाऊ मैदान, दक्षिण में प्राचीन प्रायद्वीपीय पठार।
-
पश्चिम में मरुस्थल, चारों ओर तटीय मैदान और द्वीप समूह।
-
यह विविधता भारत को प्राकृतिक संसाधनों, कृषि, उद्योग और पर्यटन में समृद्ध बनाती है।
-
भू-आकृतिक संरचना का अध्ययन हमें न केवल भौगोलिक ज्ञान देता है बल्कि यह भी बताता है कि भारत की सभ्यता और संस्कृति पर भौगोलिक परिस्थितियों का कितना गहरा प्रभाव है।
