मानव भूगोल : प्रकृति एवं विषय क्षेत्र (कक्षा 12 – NCERT)
मानव भूगोल भूगोल की वह शाखा है जो मानव और उसके प्राकृतिक पर्यावरण के बीच परस्पर संबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन करती है। इसमें यह समझने का प्रयास किया जाता है कि प्रकृति मानव को कैसे प्रभावित करती है तथा मानव किस प्रकार प्रकृति को परिवर्तित करता है।
1. मानव भूगोल की परिभाषाएँ (हिंदी में)
विभिन्न भूगोलवेत्ताओं ने मानव भूगोल को अलग-अलग दृष्टिकोणों से परिभाषित किया है। इन परिभाषाओं से मानव भूगोल की प्रकृति को गहराई से समझा जा सकता है।
“मानव भूगोल मानव समाज और पृथ्वी की सतह के बीच पारस्परिक संबंधों का समन्वित अध्ययन है।” – फ्रेडरिक रेटजेल (Friedrich Ratzel)
“मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और निरंतर सक्रिय मानव के बीच बदलते हुए संबंधों का अध्ययन है।” – एलेन चर्चिल सेम्पल (Ellen C. Semple)
“मानव भूगोल मानव और उसके प्राकृतिक पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करता है।” – विडाल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache)
“मानव भूगोल का उद्देश्य यह अध्ययन करना है कि मनुष्य पृथ्वी की सतह पर कैसे रहता है और अपने पर्यावरण का किस प्रकार उपयोग करता है।” – हंटिंगटन (Huntington)
2. मानव भूगोल की प्रकृति
- मानव और प्रकृति के परस्पर संबंधों का अध्ययन
- स्थानिक (Spatial) एवं कालिक (Temporal) विश्लेषण
- सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
- गतिशील एवं परिवर्तनशील विषय
3. मानव का प्राकृतिकरण (Naturalisation of Man)
मानव भूगोल के प्रारंभिक चरण में मानव प्रकृति पर पूर्णतः निर्भर था। उस समय प्राकृतिक शक्तियाँ मानव जीवन को नियंत्रित करती थीं।
- प्राकृतिक आपदाओं से भय
- प्रकृति की पूजा
- जीवन निर्वाह के लिए पूर्ण प्राकृतिक निर्भरता
4. प्रकृति का मानवीकरण (Humanisation of Nature)
विज्ञान और तकनीक के विकास के साथ मानव ने प्रकृति पर नियंत्रण स्थापित करना शुरू किया। अब मानव प्राकृतिक बाधाओं को अपने पक्ष में परिवर्तित करने लगा।
- सिंचाई, बाँध एवं नहरों का निर्माण
- औद्योगीकरण और नगरीकरण
- परिवहन और संचार का विकास
5. नियतिवाद (Environmental Determinism)
नियतिवाद के अनुसार मानव का विकास, संस्कृति और गतिविधियाँ पूर्णतः प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा नियंत्रित होती हैं।
- प्रकृति सर्वशक्तिमान मानी जाती है
- मानव की भूमिका सीमित होती है
“मानव प्रकृति का दास है।” – नियतिवाद का मूल विचार
6. सम्भाववाद (Possibilism)
सम्भाववाद के अनुसार प्रकृति मानव को केवल संभावनाएँ प्रदान करती है, जबकि मानव अपनी बुद्धि, तकनीक और संस्कृति के आधार पर इन संभावनाओं में से चयन करता है।
- प्रकृति मार्गदर्शक है
- मानव निर्णयकर्ता है
“प्रकृति संभावनाएँ प्रदान करती है, मानव उनका चयन करता है।” – सम्भाववाद का सिद्धांत
7. नव-नियतिवाद (Neo-Determinism)
नव-नियतिवाद नियतिवाद और सम्भाववाद के बीच संतुलन स्थापित करता है। इसके अनुसार मानव स्वतंत्र है, लेकिन प्रकृति की सीमाओं के भीतर।
“मनुष्य प्रकृति पर विजय पा सकता है, परंतु प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए।” – ग्रिफिथ टेलर (Griffith Taylor)
8. मानव भूगोल के उपक्षेत्र
| उपक्षेत्र | अध्ययन विषय |
|---|---|
| जनसंख्या भूगोल | जनसंख्या का वितरण, घनत्व एवं वृद्धि |
| आर्थिक भूगोल | कृषि, उद्योग, परिवहन एवं व्यापार |
| बस्ती भूगोल | ग्रामीण एवं नगरीय बस्तियाँ |
| राजनीतिक भूगोल | राज्य, सीमाएँ एवं भू-राजनीति |
| सांस्कृतिक भूगोल | भाषा, धर्म, परंपराएँ |
