विश्व में जनसंख्या वितरण, घनत्व एवं वृद्धि
(कक्षा 12 – मानव भूगोल)
विश्व की जनसंख्या समान रूप से वितरित नहीं है। कुछ क्षेत्र अत्यधिक सघन जनसंख्या वाले हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या अत्यंत विरल है। जनसंख्या का वितरण, घनत्व और वृद्धि मानव भूगोल के महत्वपूर्ण अध्ययन विषय हैं।
1. विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप
जनसंख्या वितरण का अर्थ है— पृथ्वी की सतह पर मानव का स्थानिक फैलाव। विश्व में जनसंख्या का वितरण असमान पाया जाता है।
जनसंख्या वितरण के प्रमुख प्रारूप
- सघन जनसंख्या क्षेत्र – दक्षिण एवं पूर्वी एशिया, पश्चिमी यूरोप
- मध्यम जनसंख्या क्षेत्र – उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका
- विरल जनसंख्या क्षेत्र – सहारा मरुस्थल, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया का आंतरिक भाग
2. जनसंख्या घनत्व (Population Density)
जनसंख्या घनत्व का अर्थ है— किसी निश्चित क्षेत्रफल में निवास करने वाले लोगों की संख्या।
जनसंख्या घनत्व का सूत्र
उदाहरण
यदि किसी देश की जनसंख्या 10 करोड़ है और क्षेत्रफल 5 लाख वर्ग किमी है, तो—
3. जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक
(क) भौगोलिक कारक
- जलवायु: समशीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र अधिक आबादी वाले होते हैं
- भूमि की उपजाऊता: नदी घाटियाँ अधिक सघन जनसंख्या वाली
- जल उपलब्धता: नदियों व झीलों के निकट घनी जनसंख्या
- भू-आकृति: मैदान अधिक बसे हुए, पर्वत व मरुस्थल विरल
(ख) आर्थिक कारक
- औद्योगीकरण
- रोज़गार के अवसर
- परिवहन एवं संचार
- कृषि एवं खनिज संसाधन
(ग) सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक
- शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ
- धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र
- राजनीतिक स्थिरता
- सामाजिक सुरक्षा
4. जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)
किसी निश्चित अवधि में जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं।
जनसंख्या वृद्धि के घटक
- जन्म दर
- मृत्यु दर
- प्रवास
5. अशोधित जन्म दर (Crude Birth Rate – CBR)
किसी वर्ष प्रति 1000 जनसंख्या पर होने वाले जीवित जन्मों की संख्या अशोधित जन्म दर कहलाती है।
6. अशोधित मृत्यु दर (Crude Death Rate – CDR)
किसी वर्ष प्रति 1000 जनसंख्या पर होने वाली कुल मौतों की संख्या अशोधित मृत्यु दर कहलाती है।
7. प्रवास (Migration)
जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थायी या अस्थायी स्थानांतरण प्रवास कहलाता है।
प्रवास के प्रकार
- आप्रवास (Immigration): किसी देश में आकर बसना
- उत्प्रवास (Emigration): किसी देश से बाहर जाना
8. अपकर्ष एवं प्रतिकर्ष कारक
अपकर्ष कारक (Pull Factors)
- रोज़गार
- उच्च जीवन स्तर
- शिक्षा एवं स्वास्थ्य
प्रतिकर्ष कारक (Push Factors)
- गरीबी
- बेरोज़गारी
- युद्ध एवं प्राकृतिक आपदाएँ
9. जनांकिकी संक्रमण सिद्धांत (Demographic Transition Theory)
जनांकिकी संक्रमण सिद्धांत वह सिद्धांत है जो यह स्पष्ट करता है कि किसी देश की जनसंख्या वृद्धि आर्थिक, सामाजिक एवं तकनीकी विकास के साथ किस प्रकार बदलती है।
यह सिद्धांत सर्वप्रथम डब्ल्यू. एस. थॉम्पसन (W. S. Thompson) ने 1929 ई० में प्रस्तुत किया।
बाद में इस सिद्धांत को फ्रैंक डब्ल्यू. नोटेस्टीन (Frank W. Notestein) ने विस्तृत एवं लोकप्रिय बनाया।
“Population growth changes with the level of economic and social development.” – Frank W. Notestein
सिद्धांत की संक्षिप्त व्याख्या
इस सिद्धांत के अनुसार, प्रत्येक देश की जनसंख्या वृद्धि पाँच क्रमिक अवस्थाओं से होकर गुजरती है। इन अवस्थाओं में जन्म दर, मृत्यु दर तथा जनसंख्या वृद्धि की गति अलग-अलग होती है।
जनांकिकी संक्रमण की अवस्थाएँ
| अवस्था | जन्म दर | मृत्यु दर | जनसंख्या वृद्धि | वर्तमान उदाहरण देश |
|---|---|---|---|---|
| प्रथम अवस्था (उच्च स्थिर अवस्था) |
अत्यधिक उच्च | अत्यधिक उच्च | लगभग शून्य | कोई भी देश वर्तमान में नहीं |
| द्वितीय अवस्था (प्रारंभिक विस्तार अवस्था) |
उच्च | तेजी से घटती | बहुत तीव्र | नाइजीरिया, अफगानिस्तान, कांगो |
| तृतीय अवस्था (विस्तार की उत्तर अवस्था) |
घटती हुई | निम्न | मध्यम | भारत, ब्राज़ील, इंडोनेशिया |
| चतुर्थ अवस्था (निम्न स्थिर अवस्था) |
निम्न | निम्न | लगभग स्थिर | अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन |
| पंचम अवस्था (ह्रास अवस्था) |
अत्यंत निम्न | मृत्यु दर अधिक | ऋणात्मक | जापान, जर्मनी, इटली |
भारत वर्तमान में तृतीय अवस्था में है, जहाँ जन्म दर घट रही है लेकिन जनसंख्या अभी भी बढ़ रही है।
वर्तमान जनसंख्या से जुड़े रोचक तथ्य
- विश्व की कुल जनसंख्या 8 अरब से अधिक हो चुकी है।
- भारत विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।
- जापान और जर्मनी में जनसंख्या घट रही है, जिसे जनसंख्या ह्रास कहते हैं।
- अफ्रीका महाद्वीप में विश्व की सबसे तेज़ जनसंख्या वृद्धि हो रही है।
- वर्तमान समय में विश्व की लगभग 50% जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में रहती है।
10. माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत (Malthusian Theory of Population)
माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि यदि जनसंख्या पर कोई नियंत्रण न हो, तो वह उपलब्ध खाद्य संसाधनों की तुलना में बहुत तेज़ी से बढ़ती है, जिसके परिणामस्वरूप गरीबी, भुखमरी, रोग और अकाल जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत थॉमस रॉबर्ट माल्थस (Thomas Robert Malthus) ने 1798 ई० में प्रस्तुत किया।
“Population, when unchecked, increases in a geometrical ratio, while subsistence increases only in an arithmetical ratio.” – Thomas Robert Malthus
माल्थस सिद्धांत का मूल विचार
माल्थस के अनुसार, जनसंख्या और खाद्य उत्पादन की वृद्धि दर में मूलभूत असंतुलन पाया जाता है।
- जनसंख्या → गुणोत्तर श्रेणी (1, 2, 4, 8, 16…)
- खाद्य उत्पादन → समान्तर श्रेणी (1, 2, 3, 4, 5…)
इस असमान वृद्धि के कारण एक समय ऐसा आता है जब जनसंख्या खाद्य संसाधनों से अधिक हो जाती है।
जनसंख्या नियंत्रण के साधन (Checks on Population)
माल्थस ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए दो प्रकार के नियंत्रण बताए—
1. प्रतिकूल नियंत्रण (Positive Checks)
ये नियंत्रण मृत्यु दर को बढ़ाकर जनसंख्या को नियंत्रित करते हैं।
- अकाल (Famine)
- महामारी (Epidemics)
- युद्ध (War)
- भुखमरी एवं कुपोषण
2. निवारक नियंत्रण (Preventive Checks)
ये नियंत्रण जन्म दर को घटाकर जनसंख्या वृद्धि को रोकते हैं।
- विवाह में देरी
- संयमित जीवन
- कम संतान का विचार
माल्थस नैतिक संयम (Moral Restraint) का समर्थक था, लेकिन कृत्रिम गर्भनिरोधक उपायों का विरोधी था।
माल्थस सिद्धांत की आलोचना
आधुनिक विद्वानों ने माल्थस के सिद्धांत की कई आधारों पर आलोचना की है।
- खाद्य उत्पादन में तकनीकी प्रगति की अनदेखी
- जनसंख्या वृद्धि दर को अतिरंजित रूप में प्रस्तुत किया
- औद्योगीकरण और वैज्ञानिक विकास की भूमिका को नजरअंदाज किया
आधुनिक संदर्भ में माल्थस सिद्धांत
यद्यपि माल्थस का सिद्धांत पूर्णतः सही नहीं माना जाता, फिर भी विकासशील देशों में जनसंख्या दबाव, संसाधनों की कमी और पर्यावरण संकट के संदर्भ में इसका महत्व आज भी स्वीकार किया जाता है।
