पृथ्वी की उत्पति एवं विकास / Earth origin and development Class 11th Short Notes

Sharvan Patel
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पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

अध्याय – 2 : पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

  • पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत है – आरंभिक सिद्धांत
  • ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत है – आधुनिक सिद्धांत

पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित प्रमुख सिद्धांत व उनके प्रतिपादक

  • वायव्य राशि का सिद्धांत – इमैनुएल कांट (जर्मन दार्शनिक)
  • निहारिका परिकल्पना – 1796 में लाप्लास
  • ग्रहाणु परिकल्पना – 1905 में चेंबरलिन व मोल्टन
  • ज्वारीय परिकल्पना – 1919 में जेम्स जींस
  • द्वैतारक परिकल्पना – रसेल
  • अंतरतारक धूल परिकल्पना – 1950 में ऑटो श्मिट (रूस) व कालम वाइजास्कर (जर्मनी)
  • ब्रह्मांड की उत्पत्ति का बिग बैंग (महाविस्फोट सिद्धांत) – 1927 में जॉर्ज लेमैत्रे ने
  • स्थिर अवस्था संकल्पना – होयल
  • स्फीति सिद्धांत – 1980 में एलन गुथ

1796 में इमैनुएल कांट की परिकल्पना में संशोधन कर निहारिका परिकल्पना प्रस्तुत की – लाप्लास ने।

जेम्स जींस की ज्वारीय परिकल्पना में संशोधन किया – 1929 में जेफरीज ने।

आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित सर्वमान्य सिद्धांत है – बिग बैंग सिद्धांत (महाविस्फोट सिद्धांत)।

बिग बैंग सिद्धांत को विस्तारित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जाता है।

1920 में यह प्रमाण दिया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है – एडविन हब्बल ने।

ब्रह्मांड के विस्तार का अर्थ है – आकाशगंगाओं के बीच की दूरी में विस्तार होना।

बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार

  • आरंभ में सभी पदार्थ छोटे गोलक के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे, जिनका आयतन अत्यधिक कम एवं तापमान व घनत्व अत्यंत था।
  • लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ, इससे ब्रह्मांड का विस्तार हुआ और कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई।
  • महाविस्फोट से तीन लाख वर्षों के दौरान तापमान 4500° केल्विन तक गिर गया। इससे परमाणवीय पदार्थों का निर्माण हुआ और ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया।

बिग बैंग बारे में अधिक जाने Click Here

विभिन्न परिकल्पनाएँ

कांट की वायव्य राशि परिकल्पना

इसके अनुसार अपकेंद्रीय बल के प्रभाव से सूर्य की एक तप्त निहारिका से 9 छल्ले अलग हुए, जिनके ठंडे होने से सौरमंडल के विभिन्न ग्रहों का निर्माण हुआ।

लाप्लास की निहारिका परिकल्पना

लाप्लास ने कांट के सिद्धांत को संशोधित करते हुए कहा कि एक विशाल व तप्त निहारिका से पहले एक छल्ला बाहर निकला और बाद में यही छल्ला अन्य नौ छल्लों में विभाजित हुआ।

चेंबरलिन व मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना

इसके अनुसार ग्रहों का निर्माण ठोस पिंड से हुआ। प्रारंभ में दो विशाल तारे थे। जब दूसरा विशाल तारा सूर्य के पास पहुँचा तो उसकी आकर्षण शक्ति से सूर्य के धरातल से असंख्य कण अलग हो गए और इन्हीं कणों के आपस में मिलने से पृथ्वी व अन्य ग्रहों का निर्माण हुआ।

जेम्स जींस की ज्वारीय परिकल्पना

इस सिद्धांत के अनुसार सौरमंडल का निर्माण सूर्य व एक अन्य तारे के संयोग से हुआ। इस तारे के सूर्य के निकट आने से सूर्य का कुछ भाग फिलामेंट के रूप में खिंच गया और यही फिलामेंट बाद में टूटकर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने लगा। इसी फिलामेंट से आगे चलकर सौरमंडल के विभिन्न ग्रहों की उत्पत्ति हुई।

रसेल की द्वैतारक परिकल्पना

इस सिद्धांत के अनुसार सूर्य व दूसरा तारा मिलकर द्वैतारक प्रणाली बनाते थे। एक तीसरा तारा विपरीत दिशा में सूर्य के साथी तारे के निकट से गुजरा जिससे उसमें ज्वार उत्पन्न हुआ और ग्रहों का निर्माण हुआ।

ऑटो श्मिट की अंतरतारक धूल परिकल्पना

इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों की उत्पत्ति गैस व धूल कणों से मानी गई है। जब सूर्य विशाल आकाशगंगा के पास से गुजरा तो उसने अपनी आकर्षण शक्ति से कुछ गैस, मेघ व धूल कणों को अपनी ओर आकर्षित किया, जो बाद में संगठित होकर ग्रह बने।

तारों का निर्माण

  • प्रारंभिक ब्रह्मांड में ऊर्जा व पदार्थों का वितरण असमान था।
  • घनत्व में आरंभिक भिन्नता से पदार्थ का एकत्रण हुआ।
  • एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह होती है।
  • निहारिका से तारों का निर्माण 5 से 6 अरब वर्ष पूर्व हुआ।
  • प्रकाश वर्ष दूरी की माप की इकाई है।
  • एक प्रकाश वर्ष = 9.46 × 1012 किमी।

पृथ्वी का उद्भव

  • प्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म एवं विरल ग्रह थी।
  • प्रारंभिक वायुमंडल हाइड्रोजन व हीलियम से बना था।

वायुमंडल एवं जलमंडल का विकास

  • वर्तमान वायुमंडल में नाइट्रोजन व ऑक्सीजन की प्रधानता है।
  • महासागरों का निर्माण लगभग 400 करोड़ वर्ष पूर्व हुआ।
  • पृथ्वी पर जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्ष पूर्व प्रारंभ हुआ।
  • प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया लगभग 250–300 करोड़ वर्ष पूर्व विकसित हुई।

जीवन की उत्पत्ति

पृथ्वी की उत्पत्ति का अंतिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से संबंधित है।

आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार जीवन की उत्पत्ति एक रासायनिक प्रक्रिया का परिणाम है।

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