Half Yearly Papers Geography Class 11th 2024-25

Sharvan Patel
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नीचे कक्षा 11वीं भूगोल के प्रश्नपत्र के सभी प्रश्नों के उत्तर (केवल हिंदी माध्यम) दिए गए हैं। जहाँ आवश्यक संक्षिप्त/व्याख्यात्मक उत्तर माँगे गए हैं, उन्हें संक्षेप पर पूरा अर्थ स्पष्ट रहेगा।


प्र.1 एराटोस्थनीज (Eratosthenes)।
प्र.2 (घ) प्रकाश संश्लेषण — यह वर्तमान वायुमण्डल के निर्माण/परिवर्तन में शामिल नहीं है।
प्र.3 (स) Gorge / घाँटी।
प्र.4 (ख) तीव्र प्रवाही द्रव संचन (Rapid flowing mass circulation) — मलबा हिमस्खलन को इसी श्रेणी में रखा जा सकता है।
प्र.5 (ख) 82° 30' पूरब — भारत का मानक मेरिडियन।
प्र.6 (ख) 10° चैनल (Ten Degree Channel)।
प्र.7 (ग) लगभग एक-तिहाई (One-third)।
प्र.8 (अ) सदाबहार वन (Evergreen forest) — चंदन के वन सदाबहार प्रकार के होते हैं।


प्र.9 भारतीय मानक समय ग्रीनविच मध्यम समय (GMT) से 5 घंटे 30 मिनट आगे है।

प्र.10 ब्रह्मपुत्र नदी को बांग्लादेश में जमुना (Jamuna) नाम से जाना जाता है।

प्र.11 भारत में वार्षिक औसत वर्षा लगभग 120 से 125 सेमी (लगभग 117–125 सेमी; सामान्यतः ~120 सेमी) के आसपास है।

प्र.12 प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography) का विकास प्रमुख रूप से जर्मन भूगोलज्ञ फ्रीडरिश रैट्ज़ेल (Friedrich Ratzel) द्वारा किया गया।


बहुत छोटे उत्तर (Very short answer)

प्र.13 GPS = ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (Global Positioning System)

प्र.14 मलबा हिमस्खलन (Debris Avalanche) — जमीन/चटानों तथा मलबे का अचानक, तीव्र एवं बहुत तेज़ गति से नीचे बहना/गिरना; हवा के साथ मिश्रित द्रव-जैसी प्रवृति होने के कारण दूर तक बहता है।

प्र.15 हिंद महासागर में स्थित दो द्वीप राष्ट्र — मालदीव्स और श्रीलंका। (अन्य उदाहरण: सेशेल्स, मॉरीशस)

प्र.16 बंगार (Bangar) — नदीय जल जमाव का पुराना अलुवियम (older alluvium), जो सामान्यत: ऊँचा और कम उपजाऊ होता है; खादर से अलग अधिक स्थायी/उत्तल सतह।

प्र.17 दक्षिण भारत की दो नदियाँ जो अपना जल अरब सागर में डालती हैं — उदाहरण: नेत्रावती (Netravati) (कर्नाटक), शरावती (Sharavathi) (कर्नाटक)। (अन्य पश्चिमोन्मुख नदियाँ: मंडोवी, जूआरी इत्यादि)

प्र.18 Catchment Area (जलग्रहण क्षेत्र) — वह भौगोलिक क्षेत्र जहाँ की वर्षा/जल किसी नदी/ढाल/झील की ओर बहकर उसे जलप्रवाह प्रदान करती है; यानि किसी जलस्रोत का समूचा जलसंग्रहण क्षेत्र।

प्र.19 Weather (मौसम) — किसी स्थान पर किसी छोटे समयावधि में वायुमण्डल की स्थितियाँ (तापमान, आर्द्रता, वर्षा, वायु के रुख/गति आदि) — तात्कालिक वायुमण्डलीय अवस्था।

प्र.20 उष्णकटिबन्धीय सदाबहार (tropical evergreen) वनों में मिलने वाली दो वृक्ष प्रजातियाँ — उदाहरण: नारियल (Coconut) और कटहल (Jackfruit / Artocarpus)। (अन्य: Mesua/nahar, Dipterocarpus आदि)


लघु उत्तर (Short answer)

प्र.21 भारत में ठंड़ी रेगिस्तान (Cold desert) मुख्यतः लद्दाख क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र की मुख्य पर्वतमालाएँ/श्रृंखलाएँ — काराकोरम, लद्दाख/हिमालय की उच्च श्रेणियाँ

प्र.22 River Basin (नदी बेसिन) बनाम Watershed (जलविभाजन):

  • नदी बेसिन = किसी नदी तथा उसकी सहायक नदियों को पानी प्रदान करने वाला पूरा सतह क्षेत्र।

  • वाटरशेड = दो विभिन्न बेसिनों के बीच की ऊँची रेखा/भाग जहाँ पानी दोनों ओर अलग-अलग दिशाओं में बहता है; गतिशील विभाजन रेखा।

प्र.23 विभेदन (Differentiation) प्रक्रिया से अभिप्राय — पृथ्वी या अन्य पिघले हुए पिंड में घनत्व के अनुसार पदार्थों का पृथक्करण; भारी तत्त्व केन्द्र की ओर, हल्के ऊपरी भाग में — जिससे पृथ्वी की आतंरिक परतें बनती हैं।

प्र.24 भूकंपीय तरंगें (Seismic waves) छाया क्षेत्र कैसे बनाती हैं — P-तरंगें पृथ्वी के विभिन्न स्तरों में अपवर्तन (refraction) और S-तरंगें तरल बाह्य कोर से पार नहीं कर पातीं; इन कारणों से पृथ्वी के कुछ भागों में सिस्मिक रिसीवर तक सीधे तरंग नहीं पहुँचतीं — इन्हें shadow zones कहते हैं।

प्र.25 अपक्षय (Weathering) जैव-विविधता के लिए उत्तरदायी कैसे है — अपक्षय चट्टानों का विघटन करके मिट्टी और विभिन्न प्रकार के लवण/खनिज बनाता है; यह मिट्टी की बनावट, पोषक तत्व और सूक्ष्मआवास बदलकर विभिन्न प्रजातियों के लिए उपयुक्त आवास और खाद्य स्रोत बनाता है, जिससे जैवविविधता बढ़ती है।

प्र.26 घाटी रुध अथवा यूवाला (Uvala) का विकास — करस्ट भू-आकृति में कई छोटे सेकेंडरी सिंकहोल/घाटियाँ आपस में जुड़कर बड़ा अवसादन/सिंकहोल समूह (Uvala) बनाते हैं; अर्थात सिंकहोलों का सहसंबंधी विलय।

प्र.27 वायुमण्डल (Atmosphere) से आप क्या समझते हैं — पृथ्वी को घेरे हुए गैसों का वह परिसंचारी आवरण; मुख्यतः नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, कार्बन-डाइऑक्साइड और अन्य गैसें; यह जलवायु और मौसम नियंत्रित करता है तथा जीवों के लिए जीवनोपयोगी वातावरण प्रदान करता है।

प्र.28 पृथ्वी पर तापमान के वितरन (variation) को प्रभावित करने वाले कारक — अक्षांश (latitude), ऊँचाई (altitude/elevation), भूमि और समुद्र का वितरण (continentality), समुद्री धाराएँ (ocean currents), मेघावरण/बादल (cloud cover), स्थानीय भू-आकृति/रूख (aspect & slope) इत्यादि।

प्र.29 भू-विनिर्देशी पवन (Geostrophic Winds) क्या हैं — दबाव ढाल और कोरिओलिस बल के बीच संतुलन से बनने वाली हवाएँ जो समतापी रेखाओं (isobars) के समांतर चलती हैं; वे दाब ढाल द्वारा प्रेरित होती हैं पर सीधे दबाव रेखा के पार नहीं बहतीं।

प्र.30 सापेक्ष आर्द्रता (Relative humidity) — किसी वायु द्रव्यमान में वर्तमान जलवाष्प की मात्रा का, उसी तापमान पर अधिकतम सम्भव जलवाष्प (saturation vapour) के प्रतिशत के रूप में अनुपात; सरल शब्दों में: वर्तमान वायु में जितना पानी है, वह कितने प्रतिशत है जो वह उसी तापमान पर रख सकती थी। (उदा. 60% = वह वायु अपने अधिकतम जलवाष्प का 60% होली है)।


दीर्घ उत्तर (Long answer)

प्र.31 ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse Gases) क्या हैं? समझाइए।

  • परिभाषा: वे गैसें जो पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित अवरक्त (इन्फ्रारेड) विकिरण को अवशोषित कर वापस पृथ्वी की सतह की ओर उत्सर्जित करती हैं, जिससे सतह का तापमान बढ़ता है — इसे ग्रीनहाउस प्रभाव कहते हैं।

  • मुख्य गैसें: कार्बन-डाइऑक्साइड (CO₂), मीथेन (CH₄), नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O), वाष्प जल (H₂O vapour), CFCs (क्लोरोफ्लोरोकार्बन)

  • स्रोत: जीवाश्म ईंधन दहन, उद्योग, कृषि (पशुपालन से मीथेन), भू-उत्पादन और वन विनाश।

  • प्रभाव: ग्लोबल वार्मिंग, समुद्र स्तर वृद्धि, मौसम पैटर्न में परिवर्तन, इकोसिस्टम पर प्रभाव।

  • निवारक उपाय: ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा, वनों का संरक्षण, कृषि/उद्योग में उत्सर्जन कमी।

प्र.32 प्रतिबल (Stress) समझाइए।

  • शब्दार्थ: भौगोलिक/भू-भौतिक परिप्रेक्ष्य में 'स्ट्रेस' से अभिप्राय उस बल/दबाव से है जो पिंड के किसी हिस्से पर लगता है और जो उसको विकृत (deform) कर सकता है।

  • प्रकार: संपीड़क (compressional), तन्य (tensional/ extensional), कतरनी (shear)।

  • प्रभाव: संपीड़न पर चट्टानें तह (folds) बना सकती हैं; तन्य पर दरारें और फैलाव (faults, rift) बनते हैं; कतरनी पर ट्रांसफॉर्म फॉल्ट बनते हैं।

  • परिणाम: पर्वत निर्माण, भूकंपीय गतिविधि, संरचनात्मक चट्टानी परिवर्तन।

प्र.33 मानसून ब्रेक (Monsoon Break) क्या है?

  • मानसून ब्रेक वह अवधि है जब दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रभाव अचानक घट जाता है और विस्तृत इलाके में वर्षा का अस्थायी रूप से रुकना या घट जाना होता है। यह आमतौर पर मानसून के सक्रिय और अवसाद काल के बीच आता है; यह वायवीय परिसंचरण और स्थानीय समुद्री/भूमि-तापीय स्थितियों के परिवर्तन के कारण होता है। परिणामस्वरूप खेतों पर, मानसूनी पैटर्न पर तथा जलस्थर पर अस्थायी प्रभाव पड़ता है।


निबंधात्मक / विस्तृत प्रश्न (Essay / Detail)

प्र.34 (क) वन एवं वन्यजीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी क्यों महत्वपूर्ण है? (सारांश)

  • स्थानीय समुदाय संरक्षण के मुख्य हितधारक होते हैं; उनकी भागीदारी से संरक्षण नीतियाँ अधिक व्यवहार्य और टिकाऊ बनती हैं।

  • स्थानीय ज्ञान (traditional knowledge) का उपयोग प्रजातियों को संरक्षित करने में मदद करता है (उदा. आग नियंत्रण, पनपे हुए पौधों की पहचान)।

  • समुदायों को संरक्षण का आर्थिक लाभ (eco-tourism, sustainable harvesting) मिलने पर वे अवैध कटान और शिकार को रोकते हैं।

  • सामुदायिक वन, सह-प्रबंधन (co-management), ग्रामीण विकास योजनाएँ और शिक्षा से लोगों में जागरूकता बढ़ती है।

  • निष्कर्ष: बिना स्थानीय लोगों को शामिल किए वन संरक्षण अधूरा और असफल रहता है; सहभागी प्रबंधन दीर्घकालिक समाधान है।

अथवा (OR)
(ख) Biosphere Reserve (बायोस्फियर रिज़र्व) विस्तार से समझाइए — परिभाषा, उद्देश्य, क्षेत्रीकरण: कोर जो पूरी तरह संरक्षित, बफर जो लक्वैबिलिटी/लिमिटेड उपयोग के लिए और ट्रांजिशन जो वैकल्पिक विकास के लिए; जैवविविधता संरक्षण, अनुसंधान, सतत विकास के लिए मॉडल क्षेत्र; उदाहरण: नंदी देव, नाईगाल/नीलगिरि आदि। (उद्देश्य, प्रबंध, लाभ व चुनौतियाँ भी दें)।

प्र.35 (क) उत्तरी भारतीय नदियों की विशेषताएँ व पेनिनसुलर नदियों से विभेद (संक्षेप):

  • हिमालयी नदियाँ (उत्तर भारतीय): ग्लेशियल/बर्फ से पोषित => वर्ष भर प्रवाही (perennial); लंबी किस्मत/बड़े जलग्रहण क्षेत्र; ऊँची धाराओं, तेज कटान और उच्च तलछट वहन; बहुमत में पूर्व की ओर बहतीं (ब्रह्मपुत्र, गंगा) ; डेल्टा बनाने की प्रवृत्ति (बंगाल की खाड़ी)।

  • पेनिनसुलर नदियाँ: प्राचीन (old), तालाबद्ध भागों में बहतीं, मुख्यतः मानसूनी वर्षा पर निर्भर => मौसमी/अर्ध-वार्षिक प्रवाह; छोटे बेसिन, झुककर पश्चिम या पूर्व की ओर (गोदावरी/कृष्णा पूर्व, पंचगंगा-पार्श्व पश्चिमी छोटे) ; जलवापी व कटाव का प्रोफ़ाइल स्थिर।
    (या) अरेबियन सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों की तुलनात्मक रूपरेखा — (लक्षद्वीप/मालदीव = कोरल/एटॉल, कम उँचा; अधिकतर अंडमान-निकोबार = विखंडित ऊँचे द्वीप, भूगर्भीय उत्पत्ति; समुद्री धाराएँ, जैवविविधता, सामरिक/नौवहन स्थितियाँ, इकोलॉजिकल अंतर)।


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