अध्याय-4 : महाद्वीपों एवं महासागरों का विन्यास

Sharvan Patel
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अध्याय-4 : महाद्वीपों एवं महासागरों का विन्यास

अध्याय-4 : महाद्वीपों एवं महासागरों का विन्यास

महाद्वीपीय विस्थापन, समुद्र-तल प्रसार एवं प्लेट विवर्तनिकी

अध्याय-4 : महाद्वीपों एवं महासागरों का विन्यास

अनुक्रमणिका (TOC)

संग्रह
महाद्वीपों व महासागरों की वर्तमान स्थिति
संक्षेप में परिचय

पृथ्वी की सतह पर लगभग 29% स्थल भाग (महाद्वीप) और 71% जल भाग (महासागर) है। यह विन्यास समय के साथ बदलता रहता है।

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महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत (Continental Drift Theory)

प्रस्तावक – अल्फ्रेड वेगेनर (1912)

मुख्य अवधारणा

प्रारंभ में पृथ्वी के सभी महाद्वीप एक ही विशाल महाद्वीप पैंजिया (Pangaea) का हिस्सा थे। पैंजिया के चारों ओर महासागर पैंथालासा (Panthalassa) था। लगभग 20 करोड़ वर्ष पूर्व पैंजिया टूटना शुरू हुआ और धीरे-धीरे आज के महाद्वीप बने।

विभाजन की प्रक्रिया

  1. पहला चरण – पैंजिया दो भागों में बंटा: लॉरेशिया (Laurasia) (उत्तरी) और गोंडवाना लैंड (Gondwanaland) (दक्षिणी)।
  2. दूसरा चरण – ये दोनों भाग छोटे-छोटे महाद्वीपों में टूटे और वर्तमान विन्यास बना।

सिद्धांत के पक्ष में प्रमाण

  • तटरेखाओं का मेल (जैसे दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका)।
  • जीवाश्म प्रमाण (जैसे मेसोज़ॉरस दोनों महाद्वीपों में)।
  • हिमानी निक्षेप (टिलाइट) — समान हिमानी चट्टानें।
  • शैल संरचना और खनिज समानता।

आलोचना

वेगेनर ने स्पष्ट नहीं किया कि महाद्वीप क्यों और कैसे खिसकते हैं — उनके बताए बल (ध्रुवीय बल, ज्वारीय बल) अपर्याप्त माने गए।

आधुनिक महत्व

यह सिद्धांत प्लेट विवर्तनिकी एवं समुद्र-तल प्रसार जैसे बाद के सिद्धांतों का आधार बना।

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समुद्र-तल प्रसार सिद्धांत (Sea Floor Spreading)

प्रस्तावक – हैरी हेस (1961)

समुद्र तल स्थिर नहीं; मध्य-महासागरीय पर्वतमालाओं से लावा निकलकर नई भूपर्पटी बनती है और पुरानी किनारों की ओर खिसकती है — इससे समुद्र-तल फैलता है।

प्रमाण

  • समुद्री पर्वतमालाएँ (Mid-Oceanic Ridges) — लावा निकलता है।
  • चुंबकीय धारियाँ — दोनों ओर समान पैटर्न।
  • चट्टानों की आयु — मध्य क्रम में नई, किनारों की ओर पुरानी।
  • गहराई में अंतर — मध्य ऊँचा, किनारे गहरे।

प्रक्रिया का सार

लावा बाहर आता है → नई भूपर्पटी बनती है → पुराना तल किनारों पर खिसकता है → समुद्र-तल फैलता है।

प्रमाणविवरण
चुंबकीय धारियाँदोनों ओर समानांतर धारियाँ मिलती हैं
चट्टानों की आयुमध्य में नई, किनारों पर पुरानी
गहराईमध्य में ऊँचा, किनारों पर गहरा
ज्वालामुखीय गतिविधिलावा का निरंतर निकलना
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प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonics)

प्रस्तावक – मैकेंज़ी, पार्कर और मॉर्गन (1967)

मुख्य विचार

पृथ्वी की ऊपरी सतह बड़ी कठोर प्लेटों (Lithospheric Plates) में बंटी है, जो अस्थेनोस्फियर पर तैरती और गतिशील रहती हैं। प्लेटों की गति से महाद्वीप, महासागर, पर्वत, भूकंप और ज्वालामुखी बनते हैं।

प्रमुख प्लेटें

प्रशांत, यूरेशियन, भारतीय, अफ्रीकी, नाज़्का, ऑस्ट्रेलियाई, दक्षिण अमेरिकी, उत्तर अमेरिकी

प्लेट सीमाओं के प्रकार

प्लेट सीमा का प्रकारप्रक्रियाउदाहरण
विलगन सीमा (Divergent)प्लेटें अलग होती हैं, नई भूपर्पटी बनती हैमध्य-अटलांटिक रिज
संमिलन सीमा (Convergent)प्लेटें टकराती हैं, पर्वत/गर्त बनते हैंहिमालय, ऐंडीज़
परिवर्तन सीमा (Transform)प्लेटें समानांतर खिसकती हैंसैन एंड्रियास फॉल्ट

प्लेट गति के कारण

पृथ्वी के भीतर मेंटल में संवहन धाराएँ (Convection currents) प्लेटों को खिसकाती हैं।

महत्व

यह सिद्धांत महाद्वीपीय विस्थापन और समुद्र-तल प्रसार दोनों को समझाता है तथा आधुनिक भूगर्भशास्त्र की आधारशिला है।

भारतीय प्लेट

भारतीय प्लेट गोंडवाना लैंड का हिस्सा थी; लगभग 20 करोड़ वर्ष पूर्व यह एशिया की ओर बढ़ी और हिमालय का निर्माण हुआ। वर्तमान में भी यह लगभग 5 सेमी/वर्ष की दर से उत्तर में बढ़ रही है।

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भूकंप और ज्वालामुखियों का वितरण

सामान्य तथ्य

भूकंप और ज्वालामुखी अधिकतर प्लेट सीमाओं पर पाए जाते हैं — रिंग ऑफ फायर (प्रशांत महासागर) सबसे सक्रिय क्षेत्र है।

भूकंप का वितरण

  • प्रशांत महासागर के चारों ओर (रिंग ऑफ फायर) सर्वाधिक भूकंप।
  • हिमालयी क्षेत्र (अल्पाइन-हिमालय पट्टी) भी महत्वपूर्ण भूकंप क्षेत्र है।
  • मध्य महासागरीय रिजों में भी भूकंप आते हैं।

ज्वालामुखियों का वितरण

  • लगभग 70% ज्वालामुखी प्रशांत महासागर के किनारे (रिंग ऑफ फायर) स्थित हैं।
  • बाकी मध्य महासागरीय रिज और द्वीप चापों पर हैं।
  • अल्पाइन-हिमालय पट्टी में कुछ सक्रिय ज्वालामुखी मिलते हैं।
क्षेत्रप्रमुख विशेषता
प्रशांत महासागर (रिंग ऑफ फायर)सर्वाधिक भूकंप और सक्रिय ज्वालामुखी
मध्य महासागरीय रिजसमुद्र-तल प्रसार, जलमग्न ज्वालामुखी
अल्पाइन-हिमालय पट्टीभूकंप प्रधान, पर्वत निर्माण

निष्कर्ष: भूकंप और ज्वालामुखियों का वितरण प्लेट विवर्तनिकी से जुड़ा है — प्लेट सीमाओं की गतिशीलता इन घटनाओं का कारण है।

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तुलनात्मक सारणी

बिंदु महाद्वीपीय विस्थापन समुद्र-तल प्रसार प्लेट विवर्तनिकी
प्रस्तावकअल्फ्रेड वेगेनर (1912)हैरी हेस (1961)मैकेंज़ी, पार्कर, मॉर्गन (1967)
मुख्य विचारपैंजिया का विभाजनमध्य-महासागरीय रिज से नई भूपर्पटीसतह कठोर प्लेटों में बंटी हुई है
प्रमाणतटरेखा मेल, जीवाश्मचुंबकीय धारियाँ, चट्टानों की आयुपर्वत, भूकंप, ज्वालामुखी वितरण
महत्वप्रारम्भिक व्याख्यावेगेनर का समर्थनआधुनिक भूगर्भशास्त्र का आधार

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