कक्षा 12 भूगोल – अध्याय 7
परिवहन एवं संचार (Transport and Communication)
यह अध्याय परिवहन एवं संचार मानव भूगोल का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें वस्तुओं, लोगों, सेवाओं एवं सूचनाओं के आदान–प्रदान की व्यवस्था को समझाया गया है। आधुनिक विश्व में आर्थिक विकास, वैश्वीकरण और क्षेत्रीय संपर्क का आधार परिवहन एवं संचार ही है।
1. परिवहन (Transport) : अर्थ एवं परिभाषा
परिवहन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है।
परिवहन जाल (Transport Network)
जब किसी क्षेत्र में विभिन्न मार्ग (सड़क, रेल, जल, वायु) एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, तो उसे परिवहन जाल कहा जाता है। विकसित देशों में परिवहन जाल अधिक सघन होता है।
2. परिवहन की प्रमुख विधाएँ
- स्थल परिवहन (Land Transport)
- जल परिवहन (Water Transport)
- वायु परिवहन (Air Transport)
- पाइपलाइन परिवहन (Pipeline Transport)
3. स्थल परिवहन
(क) सड़क परिवहन (Road Transport)
सड़क परिवहन सबसे प्राचीन एवं लचीली परिवहन प्रणाली है। यह अल्प दूरी के लिए सर्वाधिक उपयोगी है।
- द्वार-से-द्वार सेवा प्रदान करता है
- ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सहायक
- कम लागत में निर्माण
महामार्ग (Highways)
महामार्ग बड़े नगरों, औद्योगिक एवं व्यापारिक केंद्रों को जोड़ते हैं। उदाहरण – राष्ट्रीय महामार्ग, अंतर्राष्ट्रीय महामार्ग।
(ख) रेल परिवहन (Rail Transport)
रेल परिवहन लंबी दूरी तक भारी एवं थोक वस्तुओं के परिवहन के लिए सबसे सस्ता और प्रभावी साधन है।
रेल गेज (Rail Gauge)
| गेज | चौड़ाई | उपयोग |
|---|---|---|
| ब्रॉड गेज | 1.676 मीटर | भारत में प्रमुख |
| मीटर गेज | 1.000 मीटर | पहाड़ी/कम यातायात क्षेत्र |
| नैरो गेज | 0.762 मीटर | पर्वतीय क्षेत्र |
महत्वपूर्ण पार-महाद्वीपीय रेलमार्ग (Trans-Continental Railways)
पार-महाद्वीपीय रेलमार्ग वे रेलमार्ग होते हैं जो महाद्वीप के एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ते हैं। इनका निर्माण औद्योगिक विकास, राष्ट्रीय एकीकरण, व्यापार विस्तार एवं दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया।
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1. पार-साइबेरियन रेलमार्ग (Trans-Siberian Railway)
यह विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग है। यह रूस में सेंट पीटर्सबर्ग / मॉस्को से प्रारंभ होकर व्लादिवोस्तोक तक फैला है। इसकी कुल लंबाई लगभग 9,300 किलोमीटर है। यह यूरोप और एशिया को जोड़ता है तथा रूस के खनिज संसाधनों, लकड़ी, कोयला एवं औद्योगिक उत्पादों के परिवहन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। -
2. पार-कैनेडियन रेलमार्ग (Trans-Canadian Railway)
यह रेलमार्ग कनाडा में हैलिफैक्स (अटलांटिक तट) को वैंकूवर (प्रशांत तट) से जोड़ता है। यह मार्ग कृषि उत्पाद, लकड़ी, खनिज तथा औद्योगिक वस्तुओं के परिवहन के लिए अत्यंत उपयोगी है। इस रेलमार्ग ने कनाडा के पश्चिमी भागों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। -
3. संघ एवं प्रशांत रेलमार्ग (Union–Pacific Railway)
यह रेलमार्ग संयुक्त राज्य अमेरिका में पूर्वी तट को पश्चिमी तट से जोड़ता है। यह रेलमार्ग अमेरिका के औद्योगिक एवं कृषि क्षेत्रों के बीच तेज़ परिवहन सुविधा प्रदान करता है। इससे अमेरिका के आंतरिक भागों का विकास संभव हुआ और राष्ट्रीय एकता को बल मिला। -
4. ऑस्ट्रेलियन पार-महाद्वीपीय रेलमार्ग (Australian Trans-Continental Railway)
यह रेलमार्ग ऑस्ट्रेलिया में पूर्वी तट को पश्चिमी तट से जोड़ता है। यह मार्ग शुष्क एवं विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों से होकर गुजरता है। इस रेलमार्ग ने ऑस्ट्रेलिया में खनिज संसाधनों के दोहन एवं व्यापारिक संपर्क को बढ़ावा दिया है। -
5. ओरिएंट एक्सप्रेस (Orient Express)
ओरिएंट एक्सप्रेस एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय रेलमार्ग था, जो पेरिस को इस्तांबुल से जोड़ता था। यह रेलमार्ग यूरोप और एशिया के बीच सांस्कृतिक एवं व्यापारिक संपर्क का प्रतीक रहा है। लक्ज़री यात्रा के लिए यह विश्वभर में प्रसिद्ध था।
4. जल परिवहन (Water Transport)
जल परिवहन सबसे सस्ता साधन है और भारी व विशाल वस्तुओं के परिवहन में उपयोगी है।
प्रमुख समुद्री मार्ग (Major Sea Routes)
समुद्री मार्ग वे प्राकृतिक परिवहन मार्ग हैं जिनके माध्यम से महाद्वीपों के बीच भारी एवं थोक वस्तुओं का सस्ता और सुरक्षित परिवहन होता है। वैश्विक व्यापार का लगभग 80–90% भाग समुद्री मार्गों से ही होता है।
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1. उत्तरी अटलांटिक समुद्री मार्ग (North Atlantic Sea Route)
यह विश्व का सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग है। यह मार्ग उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट को पश्चिमी यूरोप से जोड़ता है। इस मार्ग से औद्योगिक वस्तुएँ, मशीनरी, कच्चा तेल, खाद्यान्न तथा निर्मित सामान का परिवहन होता है। घनी जनसंख्या, उच्च औद्योगिकीकरण और विकसित बंदरगाह इस मार्ग को अत्यंत महत्वपूर्ण बनाते हैं। -
2. दक्षिणी अटलांटिक समुद्री मार्ग (South Atlantic Sea Route)
यह मार्ग दक्षिण अमेरिका को अफ्रीका से जोड़ता है। इस मार्ग से खनिज संसाधन, कृषि उत्पाद, पेट्रोलियम तथा कच्चा माल परिवाहित किया जाता है। यह मार्ग उत्तरी अटलांटिक की तुलना में कम व्यस्त है, क्योंकि इसके किनारे जनसंख्या एवं औद्योगिक विकास अपेक्षाकृत कम है। -
3. भूमध्यसागरीय–हिंद महासागरीय समुद्री मार्ग (Mediterranean–Indian Ocean Route)
यह मार्ग यूरोप को एशिया और पूर्वी अफ्रीका से जोड़ता है। इस मार्ग का प्रमुख आकर्षण स्वेज नहर है, जिसने यूरोप और एशिया के बीच की दूरी को काफी कम कर दिया। इस मार्ग से पेट्रोलियम, मसाले, कपड़ा, मशीनरी तथा उपभोक्ता वस्तुओं का परिवहन होता है। -
4. उत्तरी प्रशांत महासागर मार्ग (North Pacific Sea Route)
यह मार्ग पूर्वी एशिया (जापान, चीन, कोरिया) को उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से जोड़ता है। यह आधुनिक औद्योगिक वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक सामान, ऑटोमोबाइल और मशीनरी के परिवहन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मार्ग वैश्विक व्यापार में तेजी से उभरता हुआ मार्ग है। -
5. दक्षिणी प्रशांत महासागर मार्ग (South Pacific Sea Route)
यह मार्ग ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अमेरिका को जोड़ता है। इस मार्ग से ऊन, मांस, डेयरी उत्पाद, खनिज तथा कृषि उत्पादों का परिवहन किया जाता है। कम जनसंख्या और सीमित औद्योगिक विकास के कारण यह मार्ग अपेक्षाकृत कम व्यस्त है।
स्वेज नहर एवं पनामा नहर : तुलनात्मक अध्ययन
| आधार | स्वेज नहर (Suez Canal) | पनामा नहर (Panama Canal) |
|---|---|---|
| देश | मिस्र (Egypt) | पनामा (Panama) |
| निर्माण वर्ष | 1869 ई. | 1914 ई. |
| निर्माणकर्ता | फर्डिनेंड डी लेसेप्स | संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) |
| लंबाई | लगभग 193 किमी | लगभग 82 किमी |
| जुड़े हुए समुद्र | भूमध्य सागर – लाल सागर | अटलांटिक महासागर – प्रशांत महासागर |
| कम बनाई गई दूरी | यूरोप–एशिया मार्ग में लगभग 7,000 किमी | न्यूयॉर्क–सैन फ्रांसिस्को मार्ग में लगभग 13,000 किमी |
| जलबंधक (Locks) | कोई जलबंधक नहीं | 3 प्रमुख जलबंधक प्रणालियाँ (गाटुन, पेद्रो मिगुएल, मिराफ्लोरेस) |
| समुद्र तल से ऊँचाई | समुद्र तल पर स्थित | समुद्र तल से लगभग 26 मीटर ऊँचाई तक जहाज उठाए जाते हैं |
| प्राकृतिक / कृत्रिम | पूरी तरह कृत्रिम नहर | प्राकृतिक झीलों एवं कृत्रिम कटाव का मिश्रण |
| अधिकार / नियंत्रण | मिस्र सरकार (1956 से) | पनामा सरकार (1999 से) |
| आर्थिक योगदान | मिस्र की विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत | पनामा की राष्ट्रीय आय का आधार |
| वैश्विक व्यापार में भूमिका | यूरोप–एशिया–अफ्रीका व्यापार की रीढ़ | अमेरिका एवं एशिया–यूरोप व्यापार का प्रमुख मार्ग |
| प्रमुख समस्या | रेत जमाव एवं यातायात जाम | जल की कमी एवं जहाजों के आकार की सीमा |
पनामा नहर पर अधिकार किसका है?
पनामा नहर के अधिकार को लेकर छात्रों में अक्सर भ्रम रहता है। ऐतिहासिक रूप से यह नहर संयुक्त राज्य अमेरिका के नियंत्रण में रही है, लेकिन वर्तमान समय में इसका पूर्ण संप्रभु अधिकार पनामा के पास है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पनामा नहर का निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किया गया था और इसके उद्घाटन के बाद लंबे समय तक इसका संचालन और नियंत्रण अमेरिका के हाथों में रहा।
नियंत्रण का क्रम
| काल | नहर पर नियंत्रण |
|---|---|
| 1914 – 1979 | संयुक्त राज्य अमेरिका |
| 1979 – 1999 | संयुक्त नियंत्रण (USA + Panama) |
| 31 दिसंबर 1999 के बाद | पनामा (पूर्ण संप्रभु अधिकार) |
टॉरिजोस–कार्टर संधि (1977)
1977 में पनामा के नेता ओमार टॉरिजोस और अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर के बीच टॉरिजोस–कार्टर संधि पर हस्ताक्षर हुए। इस संधि के अंतर्गत पनामा नहर को चरणबद्ध तरीके से पनामा को सौंपने का निर्णय लिया गया।
“31 दिसंबर 1999 से पनामा नहर पर पनामा का पूर्ण संप्रभु अधिकार स्थापित हो गया।”
वर्तमान स्थिति (परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण)
आज पनामा नहर का संचालन और प्रशासन Panama Canal Authority (ACP) द्वारा किया जाता है और यह नहर पनामा की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
आंतरिक जलमार्ग
- राइन–डैन्यूब जलमार्ग
- वोल्गा नदी
- वृहद झील–सेंट लॉरेंस मार्ग
- मिसिसिपी नदी प्रणाली
आंतरिक जलमार्ग (Inland Waterways)
आंतरिक जलमार्ग वे जल परिवहन मार्ग होते हैं जो महाद्वीपों के भीतर नदियों, झीलों, नहरों और कृत्रिम जलमार्गों के माध्यम से विकसित किए जाते हैं। ये मार्ग समुद्र से दूर आंतरिक क्षेत्रों को सस्ते, सुरक्षित और ऊर्जा-सक्षम परिवहन सुविधा प्रदान करते हैं।
“आंतरिक जलमार्ग परिवहन का सबसे किफायती साधन माना जाता है, विशेषकर भारी और थोक वस्तुओं के लिए।”
आंतरिक जलमार्गों की विशेषताएँ
- परिवहन का सबसे सस्ता साधन
- ईंधन की खपत कम
- भारी एवं थोक वस्तुओं के लिए उपयुक्त
- पर्यावरण के अनुकूल
- रेल व सड़क पर दबाव कम करता है
आंतरिक जलमार्गों का महत्व
आंतरिक जलमार्ग औद्योगिक कच्चे माल, अनाज, कोयला, पेट्रोलियम, लौह अयस्क आदि के परिवहन में अत्यंत उपयोगी हैं। यह व्यापारिक संपर्क को बढ़ाते हैं और क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान देते हैं।
विश्व के प्रमुख आंतरिक जलमार्ग
1. राइन जलमार्ग (Rhine Waterway)
राइन नदी यूरोप का सबसे व्यस्त आंतरिक जलमार्ग है। यह स्विट्जरलैंड से निकलकर जर्मनी और नीदरलैंड होते हुए उत्तरी सागर में गिरती है। यह मार्ग यूरोप के औद्योगिक क्षेत्रों को समुद्री व्यापार से जोड़ता है।
- कोयला, इस्पात, रसायन का परिवहन
- यूरोप का आर्थिक मेरुदंड
2. डैन्यूब जलमार्ग (Danube Waterway)
डैन्यूब नदी यूरोप की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह जर्मनी से निकलकर कई देशों से गुजरते हुए काला सागर में मिलती है। राइन–माइन–डैन्यूब नहर ने इसे उत्तरी सागर से जोड़ दिया है।
3. वोल्गा जलमार्ग (Volga Waterway)
वोल्गा रूस की सबसे लंबी नदी है और रूस की जीवन रेखा कहलाती है। यह कैस्पियन सागर में गिरती है। वोल्गा–डॉन नहर के माध्यम से इसे काला सागर से जोड़ा गया है।
4. ग्रेट लेक्स–सेंट लॉरेंस जलमार्ग
यह उत्तरी अमेरिका का प्रमुख आंतरिक जलमार्ग है जो पाँच महान झीलों को सेंट लॉरेंस नदी के माध्यम से अटलांटिक महासागर से जोड़ता है।
- अमेरिका और कनाडा का साझा जलमार्ग
- अनाज, लौह अयस्क, कोयला परिवहन
5. मिसिसिपी–मिसौरी जलमार्ग
मिसिसिपी नदी प्रणाली अमेरिका की सबसे महत्वपूर्ण आंतरिक जल परिवहन व्यवस्था है। यह कृषि और औद्योगिक उत्पादों को मैक्सिको की खाड़ी तक पहुँचाती है।
आंतरिक जलमार्गों की सीमाएँ
- मौसमी जलस्तर में परिवर्तन
- नदी जमाव और गाद की समस्या
- धीमी गति
आंतरिक जलमार्ग सस्ता, पर्यावरण-अनुकूल और भारी माल परिवहन का महत्वपूर्ण साधन हैं। राइन, डैन्यूब, वोल्गा, सेंट लॉरेंस और मिसिसिपी विश्व के प्रमुख आंतरिक जलमार्ग हैं।
भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways of India)
भारत में नदियों, नहरों और खाड़ियों के माध्यम से विकसित आंतरिक जल परिवहन मार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways) कहा जाता है। इनका विकास परिवहन लागत घटाने, भारी माल के कुशल परिवहन और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से किया गया है।
“राष्ट्रीय जलमार्ग भारत में आंतरिक जल परिवहन को सशक्त बनाकर सतत विकास को बढ़ावा देते हैं।”
राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास
भारत सरकार ने वर्ष 1986 में पहला राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया। वर्ष 2016 में राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम के अंतर्गत 106 नए जलमार्ग जोड़े गए और कुल राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या 111 हो गई।
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग
राष्ट्रीय जलमार्ग–1 (NW–1)
यह भारत का सबसे लंबा और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय जलमार्ग है, जो गंगा नदी पर स्थित है।
- मार्ग: प्रयागराज – वाराणसी – पटना – कोलकाता – हल्दिया
- लंबाई: लगभग 1620 किमी
- महत्व: उत्तर भारत को पूर्वी बंदरगाहों से जोड़ता है
राष्ट्रीय जलमार्ग–2 (NW–2)
यह जलमार्ग ब्रह्मपुत्र नदी पर स्थित है और पूर्वोत्तर भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- मार्ग: धुबरी से सादिया (असम)
- लंबाई: लगभग 891 किमी
- महत्व: पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापार और संपर्क का आधार
राष्ट्रीय जलमार्ग–3 (NW–3)
यह जलमार्ग केरल राज्य में स्थित है और बैकवाटर प्रणाली पर आधारित है।
- मार्ग: कोल्लम – कोट्टापुरम
- लंबाई: लगभग 205 किमी
- महत्व: पर्यटन और स्थानीय परिवहन में सहायक
अन्य प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग (संक्षेप में)
| जलमार्ग संख्या | नदी / क्षेत्र | राज्य |
|---|---|---|
| NW–4 | गोदावरी–कृष्णा नदियाँ | आंध्र प्रदेश, तेलंगाना |
| NW–5 | महानदी–ब्राह्मणी–बैतरनी | ओडिशा |
राष्ट्रीय जलमार्गों का महत्व
- परिवहन लागत में कमी
- ईंधन की बचत
- पर्यावरण के अनुकूल परिवहन
- रेल और सड़क परिवहन पर दबाव कम
- आंतरिक क्षेत्रों का आर्थिक विकास
राष्ट्रीय जलमार्गों की सीमाएँ
- मौसमी जल स्तर में उतार-चढ़ाव
- गाद जमाव की समस्या
- आधुनिक अवसंरचना की कमी
भारत में कुल 111 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं, जिनमें गंगा (NW-1), ब्रह्मपुत्र (NW-2) और केरल बैकवाटर (NW-3) सबसे महत्वपूर्ण हैं। ये जलमार्ग सस्ते, पर्यावरण-अनुकूल और सतत परिवहन का आधार हैं।
5. वायु परिवहन (Air Transport)
वायु परिवहन सबसे तेज़ लेकिन महँगा साधन है। यह उच्च मूल्य और शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं के लिए उपयुक्त है।
- अंतरमहाद्वीपीय संपर्क
- आपात सेवाओं में उपयोग
- पर्यटन को बढ़ावा
पाइपलाइन परिवहन वह प्रणाली है जिसमें तरल (Liquid), गैसीय (Gaseous) अथवा घोल अवस्था वाले पदार्थों को लंबी दूरी तक भूमिगत या भूमिपरि पाइपों के माध्यम से निरंतर प्रवाह में पहुँचाया जाता है। यह परिवहन प्रणाली विशेष रूप से खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम उत्पाद और जल के लिए उपयोगी है।
“Pipeline transport is the most economical and safest means for transporting petroleum and gas over long distances.”
पाइपलाइन परिवहन की विशेषताएँ
- निरंतर और स्वचालित परिवहन प्रणाली
- मौसम, यातायात और भू-आकृति से कम प्रभावित
- ईंधन और समय की बचत
- भारी मात्रा में पदार्थ का सुरक्षित परिवहन
पाइपलाइन परिवहन का विकास
विश्व में पाइपलाइन परिवहन का विकास मुख्यतः तेल उद्योग के साथ हुआ। भारत में पाइपलाइन परिवहन का विस्तार स्वतंत्रता के बाद हुआ, विशेषकर तेल शोधनशालाओं और गैस आधारित ऊर्जा संयंत्रों के विकास के साथ।
पाइपलाइन परिवहन के प्रकार
- तेल पाइपलाइन – कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद
- गैस पाइपलाइन – प्राकृतिक गैस
- जल पाइपलाइन – पेयजल और सिंचाई हेतु
- घोल पाइपलाइन – खनिज घोल (जैसे स्लरी पाइपलाइन)
भारत की प्रमुख पाइपलाइन परिवहन लाइनें
1. असम – बरौनी पाइपलाइन
यह भारत की पहली प्रमुख कच्चा तेल पाइपलाइन है, जो असम के तेल क्षेत्रों को बिहार स्थित बरौनी शोधनशाला से जोड़ती है।
- लंबाई: लगभग 1157 किमी
- महत्व: पूर्वोत्तर भारत के तेल को मुख्य भूमि तक पहुँचाना
2. सालाया – मथुरा पाइपलाइन
यह पाइपलाइन गुजरात के सालाया बंदरगाह से उत्तर प्रदेश के मथुरा शोधनशाला तक फैली हुई है।
- लंबाई: लगभग 1870 किमी
- महत्व: पश्चिमी भारत के आयातित कच्चे तेल का परिवहन
3. हजीरा – विजयपुर – जगदीशपुर (HVJ) गैस पाइपलाइन
यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है।
- मार्ग: गुजरात से उत्तर भारत
- महत्व: उर्वरक उद्योग, बिजली संयंत्र और घरेलू गैस आपूर्ति
4. पूर्वी तट पाइपलाइन
यह पाइपलाइन पूर्वी तट पर स्थित तेल क्षेत्रों और शोधनशालाओं को जोड़ती है।
- मार्ग: विशाखापट्टनम – चेन्नई
- महत्व: दक्षिण भारत में तेल वितरण
विश्व की प्रमुख पाइपलाइनें
| पाइपलाइन | देश / क्षेत्र | परिवहन पदार्थ |
|---|---|---|
| ड्रूझबा पाइपलाइन | रूस – यूरोप | कच्चा तेल |
| ट्रांस-अलास्का पाइपलाइन | अमेरिका | कच्चा तेल |
| नॉर्ड स्ट्रीम | रूस – यूरोप | प्राकृतिक गैस |
पाइपलाइन परिवहन के लाभ
- परिवहन लागत कम
- सुरक्षित और विश्वसनीय
- प्रदूषण अपेक्षाकृत कम
- निरंतर आपूर्ति संभव
पाइपलाइन परिवहन की सीमाएँ
- स्थापना लागत अधिक
- लीकेज से पर्यावरणीय खतरा
- केवल तरल और गैसीय पदार्थों के लिए उपयुक्त
पाइपलाइन परिवहन आधुनिक परिवहन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो विशेष रूप से पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के सुरक्षित, सस्ते और निरंतर परिवहन के लिए उपयोगी है। भारत में असम–बरौनी, सालाया–मथुरा और HVJ पाइपलाइनें प्रमुख हैं।
7. संचार (Communication)
संचार वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सूचना, विचार, संदेश, ज्ञान एवं भावनाओं का आदान-प्रदान एक स्थान से दूसरे स्थान तक किया जाता है। आधुनिक युग में संचार प्रणाली ने विश्व को “वैश्विक ग्राम (Global Village)” में बदल दिया है।
“Communication is the lifeline of modern society.”
संचार का महत्व
- व्यापार, प्रशासन और शिक्षा का आधार
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा
- आपदा प्रबंधन और सुरक्षा में सहायक
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाता है
संचार के प्रमुख प्रकार
1. व्यक्तिगत संचार (Personal Communication)
यह दो या अधिक व्यक्तियों के बीच सीधा संचार होता है। उदाहरण: पत्र, टेलीफोन, मोबाइल कॉल, ई-मेल।
2. जनसंचार (Mass Communication)
इसमें सूचना एक साथ बड़ी जनसंख्या तक पहुँचाई जाती है। उदाहरण: समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट।
संचार के माध्यम
1. डाक सेवा (Postal Services)
डाक सेवा संचार का सबसे पुराना माध्यम है। इसके अंतर्गत पत्र, पार्सल, मनीऑर्डर आदि शामिल हैं।
2. दूरसंचार (Telecommunication)
दूरसंचार विद्युत संकेतों द्वारा सूचना के आदान-प्रदान पर आधारित है। इसमें टेलीफोन, मोबाइल, फैक्स, इंटरनेट आदि शामिल हैं।
- लैंडलाइन और मोबाइल संचार
- फाइबर ऑप्टिक केबल
- 5G जैसी उन्नत तकनीक
उपग्रह संचार (Satellite Communication)
उपग्रह संचार में कृत्रिम उपग्रहों की सहायता से पृथ्वी के विभिन्न भागों में सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है।
- टीवी प्रसारण
- मौसम पूर्वानुमान
- नेविगेशन (GPS)
- आपदा चेतावनी प्रणाली
INSAT और GSAT भारत के प्रमुख संचार उपग्रह हैं।
इंटरनेट एवं साइबर स्पेस
इंटरनेट आधुनिक संचार की रीढ़ है। इसके माध्यम से सूचना का आदान-प्रदान अत्यंत तीव्र गति से संभव हुआ है।
- ई-मेल
- सोशल मीडिया
- ई-कॉमर्स
- ऑनलाइन शिक्षा
“Internet has transformed the world into a borderless communication space.”
संचार प्रणाली के लाभ
- समय और दूरी की बाधा समाप्त
- सूचना का तीव्र प्रसार
- आर्थिक विकास में सहायक
- आपात स्थितियों में उपयोगी
संचार की सीमाएँ
- डिजिटल डिवाइड (Digital Divide)
- साइबर अपराध
- अत्यधिक निर्भरता
संचार आधुनिक विश्व की आधारशिला है। डाक, दूरसंचार, उपग्रह और इंटरनेट ने मानव जीवन, व्यापार और शासन को अत्यंत प्रभावशाली एवं तीव्र बना दिया है।
📘 यह अध्याय परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। तालिकाएँ, उदाहरण और परिभाषाएँ सीधे उत्तर लेखन में उपयोगी हैं।
