सूर्यातप एवं तापमान को प्रभावित करने वाले कारक

Sharvan Patel
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सूर्यातप (Insolation) एवं पृथ्वी पर ताप का वितरण

पृथ्वी पर सूर्यातप (सूर्य से आने वाली ऊर्जा) का वितरण और ताप का वितरण कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें मुख्य हैं सूर्य किरणों का आपतन कोण, दिन की अवधि, वायुमंडल की पारदर्शिता, अक्षांश, ऊँचाई, भूमि-जल वितरण, महासागरीय धाराएँ तथा प्रचलित पवनें। ये सभी कारक मिलकर पृथ्वी की सतह और वायुमंडल के तापमान को प्रभावित करते हैं, जिससे भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर तापमान घटता है और विभिन्न स्थानों पर तापीय भिन्नता पाई जाती है।

सूर्यातप (Insolation) क्या है?

यह सूर्य से पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाली सौर ऊर्जा है, जो मुख्यतः छोटी तरंगों (Short Waves) के रूप में आती है।

“सूर्यातप ही पृथ्वी पर सभी मौसमी प्रक्रियाओं और तापीय अंतर का मूल स्रोत है।”

सूर्यातप के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक

1. सूर्य किरणों का आपतन कोण (Angle of Incidence)

भूमध्य रेखा पर सूर्य किरणें लगभग सीधी पड़ती हैं, जिससे ऊर्जा अधिक सघन रूप में प्राप्त होती है, जबकि ध्रुवों की ओर किरणें तिरछी पड़ती हैं, जिससे ऊर्जा का वितरण अधिक क्षेत्र में हो जाता है और ताप कम हो जाता है।

2. दिन और रात की अवधि (Length of Day/Night)

दिन की अवधि जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक सूर्यातप प्राप्त होगा। ग्रीष्म ऋतु में दिन लंबे और शीत ऋतु में दिन छोटे होते हैं।

3. वायुमंडल की पारदर्शिता (Atmospheric Transparency)

बादल, धूल कण, जलवाष्प आदि सौर ऊर्जा के एक भाग को अवशोषित या परावर्तित कर लेते हैं, जिससे पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाला सूर्यातप घट जाता है।

4. पृथ्वी का झुकाव एवं कक्षा (Earth’s Tilt & Orbit)

पृथ्वी का अक्षीय झुकाव ऋतुओं को जन्म देता है तथा सूर्य से पृथ्वी की दूरी में परिवर्तन (जैसे जनवरी में पृथ्वी सूर्य के अधिक निकट होना) भी सूर्यातप की मात्रा को प्रभावित करता है।

ताप के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक (सूर्यातप के अतिरिक्त)

1. अक्षांश (Latitude)

भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हुए सूर्य किरणों का आपतन कोण घटता जाता है, इसलिए तापमान क्रमशः कम होता जाता है।

2. ऊँचाई (Altitude)

ऊँचाई बढ़ने के साथ वायु विरल होती जाती है और तापमान घटता जाता है। औसतन प्रत्येक 165 मीटर पर 1°C तापमान कम हो जाता है।

3. भूमि और जल का वितरण (Land and Water Distribution)

जल भूमि की तुलना में धीरे-धीरे गर्म और ठंडा होता है, इसलिए समुद्री क्षेत्रों में तापमान सम रहता है जबकि स्थलीय क्षेत्रों में तापमान में अधिक उतार-चढ़ाव पाया जाता है।

4. महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents)

गर्म महासागरीय धाराएँ तटीय क्षेत्रों के तापमान को बढ़ाती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ तापमान को कम कर देती हैं। उदाहरण: गल्फ स्ट्रीम यूरोप को अपेक्षाकृत गर्म बनाती है।

5. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds)

गर्म क्षेत्रों से चलने वाली हवाएँ तापमान बढ़ाती हैं, जबकि ठंडे क्षेत्रों से आने वाली हवाएँ तापमान को घटा देती हैं।

6. स्थलाकृति एवं वनस्पति (Topography & Vegetation)

पर्वतों की ढाल, दिशा, तथा वनस्पति आवरण भी तापमान को प्रभावित करते हैं। घने वन तापमान को नियंत्रित रखते हैं।

ताप के वितरण के तरीके

  • क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution): विभिन्न स्थानों पर तापमान की भिन्नता।
  • ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical Distribution): ऊँचाई के साथ तापमान में कमी।
  • तापमान का पुनर्वितरण: वायुमंडलीय एवं महासागरीय परिसंचरण द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण।
👉 निष्कर्षतः, पृथ्वी पर ताप का वितरण केवल सूर्यातप पर निर्भर नहीं करता, बल्कि अनेक भौगोलिक एवं वायुमंडलीय कारकों के संयुक्त प्रभाव से नियंत्रित होता है, जिससे पृथ्वी पर विविध जलवायु और मौसम की स्थिति उत्पन्न होती है।

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