पृथ्वी का ऊष्मा बजट भूगोल कक्षा 11

Sharvan Patel
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पृथ्वी का ऊष्मा बजट (Heat Budget of Earth)

पृथ्वी का ऊष्मा बजट (Heat Budget) सूर्य से आने वाली ऊर्जा (सूर्यातप) और पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाने वाली ऊष्मा के बीच संतुलन है, जिससे पृथ्वी न ज्यादा गर्म होती है न ज्यादा ठंडी; वायुमंडल का ऊष्मा बजट इसमें मुख्य भूमिका निभाता है, जहाँ वह सौर विकिरण का एक हिस्सा अवशोषित करता है और पार्थिव विकिरण को अंतरिक्ष में लौटाता है, जिससे यह संतुलन बना रहता है और तापमान स्थिर रहता है, जिसके लिए वायुमंडलीय हवाएँ और समुद्री धाराएँ असमान तापन को संतुलित करती हैं।

पृथ्वी का ऊष्मा बजट (Heat Budget of Earth)

परिभाषा

यह सूर्य से प्राप्त ऊर्जा (आने वाली) और पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा (जाने वाली) के बीच का संतुलन है, जिसे 100 इकाइयों के रूप में देखा जाता है।

आने वाली ऊर्जा

सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली कुल ऊर्जा 100 इकाई मानी जाती है।

इसमें से 35 इकाइयाँ परावर्तित (रिफ्लेक्ट) हो जाती हैं (बादलों, बर्फ, वायुमंडल द्वारा) और 65 इकाइयाँ अवशोषित होती हैं (34 वायुमंडल द्वारा + 51 पृथ्वी की सतह द्वारा)।

जाने वाली ऊर्जा

अवशोषित 65 इकाइयों में से 17 इकाइयाँ सीधे अंतरिक्ष में लौट जाती हैं और 48 इकाइयाँ वायुमंडल द्वारा अवशोषित होकर (पार्थिव विकिरण से) फिर से अंतरिक्ष में विकीर्णित हो जाती हैं।

कुल 65 इकाइयाँ अंतरिक्ष में वापस जाती हैं।

संतुलन

आने वाली 100 इकाइयों और जाने वाली (35 + 65 = 100) इकाइयों के बीच संतुलन रहने से पृथ्वी का तापमान स्थिर रहता है।

वायुमंडल का ऊष्मा बजट (Atmospheric Heat Budget)

सौर विकिरण

वायुमंडल का 14% सौर विकिरण सीधे अवशोषित करता है।

पार्थिव विकिरण

पृथ्वी की सतह से उत्सर्जित 34 इकाइयों की दीर्घ-तरंग विकिरण को वायुमंडल अवशोषित करता है (संवहन, वाष्पीकरण, संघनन के माध्यम से)।

कुल अवशोषण

वायुमंडल कुल 48 इकाइयाँ (14 सौर + 34 पार्थिव) अवशोषित करता है, जिसे यह फिर से अंतरिक्ष में विकीर्णित कर देता है।

ऊष्मा स्थानांतरण

भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर हवाओं (पवनें) और समुद्री धाराओं (महासागरीय धाराएँ) द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण होता है, जो असमान तापन को संतुलित करता है।

संक्षेप में

संक्षेप में, पृथ्वी का ऊष्मा बजट एक नाजुक संतुलन है जहाँ सूर्य से आने वाली ऊर्जा और पृथ्वी से निकलने वाली ऊर्जा बराबर होती है, और वायुमंडल इस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव है।

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