सूर्य से आने वाली किरणें : प्रकार, तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति एवं अंतर
सूर्य पृथ्वी के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। सूर्य से विभिन्न प्रकार की विद्युत-चुंबकीय किरणें (Electromagnetic Radiations) निकलती हैं, जिनकी तरंगदैर्घ्य (Wavelength) एवं आवृत्ति (Frequency) भिन्न-भिन्न होती है। इन्हीं किरणों के कारण पृथ्वी पर ताप, प्रकाश, मौसम एवं जीवन संभव हो पाता है।
सौर विकिरण (Solar Radiation) क्या है?
सूर्य से निकलने वाली समस्त ऊर्जा तरंगों के रूप में पृथ्वी तक पहुँचती है, जिसे सौर विकिरण कहा जाता है। ये तरंगें निर्वात में भी संचरित हो सकती हैं और इनकी गति प्रकाश की गति के बराबर होती है।
सूर्य की तरंगों से ऊर्जा पृथ्वी तक कैसे पहुँचती है?
सूर्य और पृथ्वी के बीच बहुत अधिक दूरी है तथा इस दूरी के बीच में लगभग पूरा क्षेत्र निर्वात (Vacuum) है। निर्वात में न तो हवा होती है और न ही कोई माध्यम, फिर भी सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी तक पहुँचती है। ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि सूर्य से ऊर्जा तरंगों के रूप में निकलती है।
ऊर्जा तरंगों के रूप में क्यों पहुँचती है?
सूर्य के अंदर निरंतर नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) की प्रक्रिया चलती रहती है। इस प्रक्रिया में अपार मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा विद्युत-चुंबकीय तरंगों के रूप में बाहर निकलती है, जो बिना किसी माध्यम के भी यात्रा कर सकती हैं।
तरंगें पृथ्वी तक कैसे आती हैं?
सूर्य से निकलने वाली तरंगें सभी दिशाओं में फैलती हैं। इनमें से जो तरंगें पृथ्वी की दिशा में आती हैं, वे लगभग 8 मिनट में सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी तय कर लेती हैं।
- ये तरंगें प्रकाश की गति से चलती हैं
- इन्हें चलने के लिए हवा या जल की आवश्यकता नहीं होती
- निर्वात में भी ये तरंगें आसानी से संचरित हो जाती हैं
वायुमंडल की भूमिका
जब सूर्य की तरंगें पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं, तो वायुमंडल उनका कुछ भाग अवशोषित कर लेता है, कुछ भाग परावर्तित कर देता है तथा कुछ भाग पृथ्वी की सतह तक पहुँच जाता है।
पृथ्वी पर ऊर्जा का उपयोग
जो ऊर्जा पृथ्वी की सतह तक पहुँचती है, वही पृथ्वी को गर्म करती है, मौसम एवं जलवायु को नियंत्रित करती है तथा पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को संभव बनाती है।
"सूर्य से निकलने वाली तरंगें ही पृथ्वी पर जीवन की मूल ऊर्जा स्रोत हैं।"
सूर्य से निकलने वाली सभी तरंगें : पूर्ण व्याख्या
सूर्य एक विशाल ऊर्जा स्रोत है, जहाँ निरंतर परमाण्विक संलयन (Nuclear Fusion) की प्रक्रिया चलती रहती है। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप सूर्य से विभिन्न प्रकार की विद्युत-चुंबकीय तरंगें निकलती हैं, जो मिलकर विद्युत-चुंबकीय स्पेक्ट्रम बनाती हैं।
1. रेडियो तरंगें (Radio Waves)
रेडियो तरंगें सूर्य से निकलने वाली सबसे लंबी तरंगदैर्घ्य वाली तरंगें होती हैं। ये सूर्य के कोरोना (Corona) क्षेत्र से उत्पन्न होती हैं।
- तरंगदैर्घ्य: अत्यधिक (किलोमीटर में)
- आवृत्ति: अत्यंत कम
- उपयोग: रेडियो संचार, खगोल अध्ययन
2. माइक्रोवेव तरंगें (Microwaves)
माइक्रोवेव तरंगें रेडियो तरंगों से छोटी तथा अवरक्त तरंगों से बड़ी होती हैं। सूर्य से आने वाली ये तरंगें पृथ्वी की सतह एवं बादलों का अध्ययन करने में सहायक होती हैं।
- तरंगदैर्घ्य: 1 मिमी – 1 मीटर
- आवृत्ति: कम
- उपयोग: मौसम उपग्रह, रडार
3. अवरक्त किरणें (Infrared Rays)
अवरक्त किरणें ऊष्मा प्रदान करने वाली किरणें होती हैं। सूर्य से आने वाली अधिकांश ऊष्मा इन्हीं किरणों के माध्यम से प्राप्त होती है।
- तरंगदैर्घ्य: दृश्य किरणों से अधिक
- आवृत्ति: कम
- प्रभाव: पृथ्वी को गर्म रखना
5.दृश्य तरंगें (Visible Waves)
दृश्य तरंगें वे विद्युत-चुंबकीय तरंगें होती हैं जिन्हें मानव आँख देख सकती है। सूर्य से पृथ्वी पर पहुँचने वाली कुल ऊर्जा का सबसे बड़ा भाग दृश्य तरंगों के रूप में प्राप्त होता है।
इन तरंगों की तरंगदैर्घ्य पराबैंगनी किरणों से अधिक तथा अवरक्त किरणों से कम होती है। इसी कारण दृश्य तरंगों की आवृत्ति मध्यम होती है।
दृश्य तरंगों की विशेषताएँ
- तरंगदैर्घ्य: लगभग 400 से 700 नैनोमीटर
- आवृत्ति: मध्यम
- मानव आँख द्वारा प्रत्यक्ष देखी जा सकती हैं
- सूर्य से प्राप्त प्रकाश इन्हीं तरंगों के कारण संभव है
दृश्य तरंगों के रंग
दृश्य तरंगें विभिन्न रंगों में दिखाई देती हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से इंद्रधनुष के सात रंग कहा जाता है। ये रंग तरंगदैर्घ्य के आधार पर अलग-अलग होते हैं।
- बैंगनी (Violet) – सबसे कम तरंगदैर्घ्य
- नीला (Indigo)
- नीला (Blue)
- हरा (Green)
- पीला (Yellow)
- नारंगी (Orange)
- लाल (Red) – सबसे अधिक तरंगदैर्घ्य
"यदि दृश्य तरंगें न हों, तो पृथ्वी पर जीवन की कल्पना संभव नहीं है।"
5. पराबैंगनी किरणें (Ultraviolet Rays)
पराबैंगनी किरणों की तरंगदैर्घ्य दृश्य किरणों से कम होती है। ये जीवों पर जैविक प्रभाव डालती हैं।
- तरंगदैर्घ्य: 10–400 नैनोमीटर
- आवृत्ति: अधिक
- ओजोन परत अधिकांश UV किरणों को रोकती है
6. एक्स-रे किरणें (X-Rays)
सूर्य की सौर ज्वालाओं एवं अत्यधिक ऊर्जावान क्षेत्रों से एक्स-रे किरणें निकलती हैं। ये किरणें अत्यधिक प्रवेश क्षमता रखती हैं।
- तरंगदैर्घ्य: बहुत कम
- आवृत्ति: अत्यधिक
- प्रभाव: उपग्रहों को क्षति
7. गामा किरणें (Gamma Rays)
गामा किरणें सूर्य से निकलने वाली सबसे अधिक ऊर्जा वाली किरणें होती हैं। इनका स्रोत सूर्य के केंद्र में होने वाली नाभिकीय अभिक्रियाएँ हैं।
- तरंगदैर्घ्य: अत्यंत न्यूनतम
- आवृत्ति: सर्वाधिक
- प्रभाव: अत्यधिक हानिकारक
"सूर्य से निकलने वाली सभी तरंगें मिलकर पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन और जलवायु को नियंत्रित करती हैं।"
तरंगदैर्घ्य एवं आवृत्ति की परिभाषा
तरंगदैर्घ्य (Wavelength)
तरंग के दो समान क्रमिक बिंदुओं (जैसे दो शिखरों या दो गर्तों) के बीच की दूरी को तरंगदैर्घ्य कहा जाता है। इसे ग्रीक अक्षर λ (लैम्ब्डा) से दर्शाया जाता है।
तरंगदैर्घ्य की इकाई मीटर (m), नैनोमीटर (nm) अथवा माइक्रोमीटर (µm) होती है। सरल शब्दों में, एक पूरी तरंग की लंबाई को तरंगदैर्घ्य कहते हैं।
आवृत्ति (Frequency)
एक सेकंड में किसी तरंग द्वारा पूर्ण किए गए कुल कंपन (Oscillations) की संख्या को आवृत्ति कहते हैं। इसे ν (न्यू) या f से दर्शाया जाता है।
आवृत्ति की इकाई हर्ट्ज (Hz) होती है। सरल शब्दों में, एक सेकंड में तरंग कितनी बार कंपन करती है, वही उसकी आवृत्ति है।
वेवलेंथ एवं आवृत्ति का आपसी संबंध
तरंगदैर्घ्य और आवृत्ति में व्युत्क्रम संबंध (Inverse Relation) होता है। अर्थात, तरंगदैर्घ्य बढ़ने पर आवृत्ति घटती है और तरंगदैर्घ्य घटने पर आवृत्ति बढ़ती है।
सूर्य किरणों का तुलनात्मक अंतर
| किरण का प्रकार | वेवलेंथ | आवृत्ति | प्रभाव |
|---|---|---|---|
| पराबैंगनी | बहुत कम | अधिक | त्वचा रोग, जीवाणुनाशक |
| दृश्य | मध्यम | मध्यम | प्रकाश एवं दृष्टि |
| अवरक्त | अधिक | कम | ऊष्मा प्रदान |
निष्कर्ष
सूर्य से आने वाली विभिन्न प्रकार की किरणें पृथ्वी के वातावरण, जलवायु एवं जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इन किरणों की वेवलेंथ एवं आवृत्ति में अंतर होने के कारण इनके प्रभाव भी अलग-अलग होते हैं।
सूर्य से पृथ्वी पर ऊष्मा का कितना भाग पहुँचता है?
सूर्य अत्यंत विशाल ऊर्जा का स्रोत है और इससे अपार मात्रा में ऊष्मा सभी दिशाओं में फैलती है। लेकिन सूर्य से निकलने वाली कुल ऊष्मा का केवल एक बहुत छोटा सा भाग ही पृथ्वी तक पहुँच पाता है।
वैज्ञानिक आकलन के अनुसार सूर्य से निकलने वाली कुल ऊर्जा का लगभग दो अरबवाँ भाग (1/2,000,000,000) ही पृथ्वी तक पहुँचता है।
इतना कम भाग क्यों पहुँचता है?
- सूर्य से ऊर्जा सभी दिशाओं में फैल जाती है
- पृथ्वी सूर्य की तुलना में आकार में बहुत छोटी है
- ऊर्जा का अधिकांश भाग अंतरिक्ष में ही नष्ट हो जाता है
जो ऊर्जा पृथ्वी तक पहुँचती है उसका क्या होता है?
पृथ्वी तक पहुँचने वाली ऊर्जा का भी पूरा भाग सतह तक नहीं पहुँचता। वायुमंडल इसका कुछ भाग परावर्तित कर देता है, कुछ भाग अवशोषित कर लेता है और शेष भाग पृथ्वी की सतह को गर्म करता है।
"यदि सूर्य की यह अल्प मात्रा की ऊष्मा भी पृथ्वी तक न पहुँचे, तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो सकता।"
